नई दिल्लीः सरकारी क्षेत्र के बैंक हाल के समय में अपने खराब वित्तीय सेहत और बड़े डिफॉल्टरों के कारण चर्चा में रहे हैं। सरकारी बैंकों को एक और बड़ी चपत लगी है। इस डिफॉल्ट को हाल के महीनों में सबसे बड़े बैंक डिफॉल्ट में से एक कहा जा रहा है। 14 सरकारी बैंकों के एक संघ ने बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई में मुंबई स्थित डिफॉल्टर फ्रॉटल इंटरनेशनल लिमिटेड से लगभग 3,635.25 करोड़ रुपये के कर्ज की वसूली की का काम शुरू कर दिया है। इस चपत की तुलना फरार हीरा कारोबारी नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और स्टर्लिंग बायलिंग ग्रुप से की जा रही है, जिन्होंने बड़े पैमाने पर बैंक से लोन लेकर उसका भुगतान नहीं किया है और फरार चल रहे हैं। बैंक ऑफ इंडिया के अलावा बैंकिंग संघ के अन्य बैंकों में बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब नेशनल बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, विजया बैंक, इलाहाबाद बैंक और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं। इनमें से केवल दो बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा का अकेले क्रमशः 606.17 करोड़ रुपये और 526.05 करोड़ रुपये बकाया है। ये बकाया एक गैर-सूचीबद्ध कंपनी फ्रॉस्ट इंटरनेशनल पर है। सबसे कम बकाया आंध्र बैंक का है, इस बैंक का 47.85 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि अन्य बैंकों का बकाया 100 करोड़ रुपये 390 करोड़ रुपये के सीमा के भीतर है। बैंकों के संघ ने डिफॉल्टरों को 60 दिन का समय दिया है। पीएम मोदी ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के निर्णय को बताया ऐतिहासिक एयर इंडिया की बिक्री के लिए मंत्री समूह की हुई बैठक, शीघ्र आ सकता है निर्णय अर्थशास्त्रियों ने केंद्र सरकार को मंदी से निपटने के लिए दी यह सलाह