नई दिल्लीः देश में सरकारी बैंकों की हालत किसी से छिपी नहीं है। पीएसयू बैंक भारी एनपीए के बोझ तले दबे हुए हैं। बैंकों की वित्तीय हालत सुधारने के लिए ही सरकार ने देश के दस सरकारी बैंकों का विलय करने का ऐलान किया था। आरटीआई के द्वारा मिली जानकारी बैंको की खराब सेहत के पीछे कारण को उजागर करती है। आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने भारतीय रिजर्व बैंक में आरटीआई फाइल कर बैंक से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में हुई बैंक धोखाधड़ी की जानकारी मांगी है। आरबीआई के डाटा के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सरकारी बैंकों के साथ फर्जीवाड़े के कुल 2,480 मामले सामने आए हैं। इन फर्जीवाड़ों में बैंकों को 31,898.63 करोड़ रुपये की चपत लगी है। आंकड़ों के मुताबिक भारतीय स्टेट बैंक को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है। एसबीआई के साथ धोखाधड़ी के कुल 1,197 मामले सामने आए, जिसमें बैंक को 12,012.77 करोड़ रुपये की चपत लगी है। इसके बाद इलाहाबाद बैंक ने 381 फर्जीवाड़े के मामलों में 2,855.66 करोड़ की राशि गंवाई है। पीएनबी को भी 2,526.55 करोड़ रुपये का झटका लगा है। इसके अलावा केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक,बैंक ऑफ बड़ौदा सहित लगभग सभी सरकारी बैंक धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं। हाउसिंग सेक्‍टर : वित्त मंत्री ने अफोर्डेबल हाउसिंग को लेकर किए कई ऐलान वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ी चिंता पर कही यह बात अब पिंड दान भी हुआ ऑनलाइन, लोग जिंदा रहते करा रहे हैं अपनी बुकिंग