आतंक की अंधेरगर्दी में खो गई थी, इस पंजाबी युवक की जवानी

पंजाब।  जिस खालिस्तान कमांडो फोर्स ने पंजाब में कोहराम मचा रखा था, ये लोग अलग खालिस्तान की मांग कर रहे थे। उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए आॅपरेशन ब्लू स्टार से नाकामी मिली। हालांकि इस आपरेशन के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जमकर विरोध झेलना पड़ा लेकिन, भिंडरावाले को कम कर अलग खालिस्तान की संभावनाओं को नकारने का इसके अलावा कोई और रास्ता तत्कालीन समय में नीति निर्माताओं को नज़र नहीं आया।

दरअसल इस हिंसक मूवमेंट को रोकने के लिए, सरकार के आपरेशन ब्लू स्टार के अलावा संभवतः और कोई आॅप्शन नहीं था। सुखदेव सिंह सुक्खा इसी खालिस्तान फोर्स का एक सदस्य था। उस पर अर्जन दास, ललित माकेन, आदि की हत्या का आरोप भी था। सुखदेव का जन्म 1962 में श्रावण मास के 14 वें दिन हुआ था। जिस दिन उसका जन्म हुआ था उस दिन बुधवार था।

उसके माता पिता राजस्थान में रहा करते थे। वह सिख मूल परिवार से था। उनके पिता का नाम मेंघा सिंह बनवेंत और सुरजीत कौर बनवेंत था। उसका परिवार किसान परिवार से था। मूलरूप से वे होशियारपुर जिले के निवासी थे। मगर बाद में वे पंजाब के अन्य भाग में चले गए थे इसके बाद, वे राजस्थान चले गए थे। सुखविंदर सिंह सुक्खा ने हरजिंदर सिंह जिंदा के साथ, खालिस्तान फोर्स में भागीदारी की। इन लोगों ने तत्कालीन सांसद ललित माकेन पर 31 जुंलाई 1985 में हमला किया था।

10 अगस्त 1986 में जिंदा और सुक्खा सिंह ने मिलकर रिटायर्ड थल सेना अध्यक्ष जनरल अरूण वैद्य को गोली मार दी थी। जनरल अरूण वैद्य सेना प्रमुख थे और, उन्होंने ही आपरेशन ब्लू स्टार को सफल बनाने के लिए अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर गुरूद्वारे में खालिस्तान फोर्स से जुड़े सदस्यों पर हमले का आदेश दिया था।

जब वे रिटायर्ड हो गए तो, सुक्खा सिंह ने उनकी हत्या कर दी। बाद में 17 सितंबर 1986 को सुक्खा सिंह को पुणे के समीप पिंपरी क्षेत्र से पकड़ लिया गया। बाद में सुखविंद सिंह सुक्खा को, हरजिंदर सिंह - जिंदा के साथ 9 अक्टूबर 1992 को फांसी की सजा दे दी गई।

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