जेनेवा: अमेरिकी आर्मी की वापसी के बाद अफगानिस्तान में अहम भूमिका निभाने वाले कतर के शाह ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में एकत्रित वैश्विक नेताओं से तालिबान शासकों से मुंह न मोड़ने का अनुरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मंच से बोलते हुए शेख तमीम बिन हमाद अल थानी ने मंगलवार को 'तालिबान से वार्ता जारी रखने की जरुरत पर जोर दिया, क्योंकि बहिष्कार से सिर्फ ध्रुवीकरण होगा जबकि संवाद से सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।' कतर की यह चेतावनी उन देशों के राष्ट्राध्यक्षों के लिए थी, जो तालिबान के साथ वार्ता करने और अफगानिस्तान में सत्ता पर उनके कब्जा जमाने को मान्यता देने को लेकर चिंतित हैं। तालिबान का कहना है कि वे वैश्विक समुदाय से मान्यता चाहते हैं। उसने यूनाइटेड नेशंस में अफगानिस्तान के पूर्व राजदूत के शिनाख्त पत्र को चुनौती दी है और वे UNGA की विश्व नेताओं की उच्च स्तरीय बैठक में बोलने के लिए कह रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी सरकार को मान्यता देना यूनाइटेड नेशंस की जिम्मेदारी है। शेख तमीम ने कहा कि कतर सालों पहले से निर्वासन में रह रहे तालिबान के सियासी नेतृत्व की मेजबानी करने के लिए तैयार हो गया था क्योंकि ''हमें यकीन था कि युद्ध से कोई समाधान नहीं निकलता और अंत में संवाद ही होगा।' बता दें कि कतर, अमेरिका का करीबी सहयोगी है और पश्चिम एशिया में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा कतर में ही है, किन्तु इस छोटे से खाड़ी अरब देश के तालिबान के साथ भी संबंध हैं। बता दें की, इससे पहले पाकिस्तान भी खुलकर आतंकी संगठन तालिबान का समर्थन कर चुका है। नारायण खड़का को नेपाल का नया विदेश मंत्री किया गया नियुक्त तालिबान पर इमरान खान का बड़ा बयान, बोले- नहीं किया सभी गुटों को शामिल तो... हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने साइकिल चलाकर मनाया विश्व कार मुक्त दिवस