नई दिल्ली: भारत की विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने आज शनिवार को ऐसे किसी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया, जो गाजा पर शासन करने वाले फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास को भारत में आतंकवादी संगठन घोषित करता हो। लेखी ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जांच की मांग की थी, जब एक उपयोगकर्ता ने विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध संसद प्रश्न के उत्तर के बारे में एक दस्तावेज़ साझा किया था, जिसमें उनके (लेखी के) नाम का उल्लेख था। उन्होंने लिखा था कि, 'आपको गलत जानकारी दी गई है, क्योंकि मैंने इस सवाल और इस जवाब वाले किसी भी पेपर पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, डॉ एस जयशंकर, PMO इंडिया।' एक अन्य ट्वीट में उन्होंने जांच की मांग की और कहा कि जल्द ही दोषी का खुलासा किया जाएगा। इससे पहले भारत ने शुक्रवार को कहा था कि वह हमास-इज़राइल संघर्ष से उत्पन्न बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर चिंतित है और "बातचीत और कूटनीति" के माध्यम से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर देते हुए "संयम और तनाव कम करने" का आह्वान किया था। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने विदेश मंत्रालय से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा था। उन्होंने लिखा था कि, 'नीचे दिए गए ट्वीट में मीनाक्षी लेखी जी अपने द्वारा दिए गए जवाब से इनकार कर रही हैं और खुद को अलग कर रही हैं, कहती हैं कि उन्हें नहीं पता कि पीक्यू के जवाब के रूप में इसे किसने तैयार किया है, क्योंकि उन्होंने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। क्या वह यह दावा कर रही है कि यह एक जाली प्रतिक्रिया है, यदि हाँ तो यह एक गंभीर उल्लंघन है और मौजूदा नियमों का उल्लंघन है। विदेश मंत्रालय के स्पष्टीकरण के लिए आभारी रहूंगी।' विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा को सूचित किया कि भारत ने इज़राइल पर 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमले और चल रहे संघर्ष में नागरिक जीवन के नुकसान की कड़ी निंदा की है। एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जयशंकर ने संसद ने बताया कि, "हम बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर चिंतित हैं और हमने संयम बरतने, तनाव कम करने का आह्वान किया है और बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया है।" उन्होंने कहा, "हम मानवीय विराम और बंधकों की रिहाई का स्वागत करते हैं।" वहीं, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और जयशंकर ने क्षेत्र और दुनिया भर के कई नेताओं से बात की है, जिनमें इज़राइल के राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री और फिलिस्तीनी राष्ट्रपति शामिल हैं। जयशंकर ने कहा कि, "भारत ने G20, ब्रिक्स और वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भी गाजा में मौजूदा स्थिति को मजबूती से उठाया है और अपना रुख दोहराया है।" उन्होंने कहा कि इजराइल से "ऑपरेशन अजय" के तहत संचालित छह विशेष उड़ानों में 1,309 भारतीय नागरिक देश लौट आए हैं और नई दिल्ली ने गाजा पट्टी से एक भारतीय नागरिक की वापसी की भी सुविधा प्रदान की है। संयुक्त राष्ट्र (UN) में संघर्ष पर एक प्रस्ताव पर भारत की अनुपस्थिति पर एक अलग सवाल पर, विदेश मंत्री ने कहा कि फिलिस्तीन के प्रति नई दिल्ली की नीति लंबे समय से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि, "हमने हमेशा सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर इजरायल के साथ शांति से रहते हुए एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना के लिए बातचीत के जरिए दो-राज्य समाधान का समर्थन किया है।" अलग से, जब लेखी से पूछा गया कि क्या भारत हमास को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करेगा, जैसा कि इज़राइल की मांग है, तो उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि, "किसी संगठन को आतंकवादी घोषित करना गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आता है और किसी भी संगठन को आतंकवादी घोषित करने पर संबंधित सरकारी विभाग अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार विचार करते हैं।" 77 वर्ष की हुईं सोनिया गांधी ! पीएम मोदी सहित दिग्गज कांग्रेस नेताओं ने दी शुभकामनाएं मां को बाथरूम में बंद कर शख्स ने मुंह में रख लिया सुतली बम और लगा ली आग, मामला जानकर काँप उठेगी रूह भारत में इस्लामिक स्टेट, इरादे खतरनाक ! कर्नाटक-महाराष्ट्र के 41 ठिकानों पर NIA की रेड, 15 संदिग्ध गिरफ्तार