रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी लेखनी के बलबूते भारत समेत पूरी दुनिया में नाम कमाया. रबीन्द्रनाथ टैगोर को 'गुरुदेव' नाम से भी पुकारा जाता है. वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. अपनी लेखनी के दम पर ही वे नोबेल पुरस्कार को पाने में कामयाब रहे थे. 'गुरुदेव' रवीन्द्रनाथ टैगोर से आज के समय में समूचा विश्व परिचित है. 7 मई 1861 को रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था. रबीन्द्रनाथ यूं तो कई बातों के लिए जाने जाते हैं, हालांकि इनमे जो विश्वप्रसिद्ध ख़ास बात है वो यह है कि रबीन्द्रनाथ नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय है. साथ ही वे यह सम्मान पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय भी है. साल 1913 में उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था. टैगोर को नोबेल पुरस्कार उनकी विश्व प्रसिद्द किताब 'गीतांजलि' के लिए प्रदान किया गया था. बता दें कि इस किताब में कुल 157 कविताओं का समावेश है. रबीन्द्रनाथ ने नोबेल पुरस्कार प्रत्यक्ष रूप से नहीं लिया था. बल्कि उनकी ओर से यह सम्मान ब्रिटेन के एक राजदूत ने लिया था, फिर इसे रबीन्द्रनाथ टैगोर को सौंपा गया था. रबीन्द्रनाथ से जुड़ीं एक ख़ास बात यह भी है कि उनसे प्रभावित होकर ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें 'सर' की उपाधि से सम्मानित किया गया. हालांकि टैगोर ने साल 1919 में जलियांवाला बाग कांड के बाद इस उपाधि को वापस कर दिया था. ब्रिटिश सरकार इसे लेने के लिए राजी नहीं हुई हालांकि दूसरी ओर टैगोर भी अपनी बात पर अडिग थे. दो देशों को दिए राष्ट्र गान 'गुरुदेव' रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी कलम से दो देशों को अपने राष्ट्रगान दिए. भारत के राष्ट्रगान जन-मन-गण और हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश के राष्ट्रगान अमार शोनार बांग्ला के रचयिता रबीन्द्रनाथ टैगोर ही है. रवीन्द्रनाथ टैगोर : दो देशों को राष्ट्रगान देने वाली हस्ती, जानिए इनकी और भी ख़ास बातें सुषमा स्वराज की प्रथम पुण्यतिथि आज, बेटी ने शेयर की 'दिव्य पंक्ति' भगवा राज की शुरुआत, 250 मुस्लिमों ने अपनाया हिन्दू धर्म