दुनिया में अपने शायराना अंदाज से ख्याति प्राप्त कर चुके, राहत इंदौरी का अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया है. राहत इंदौरी अस्पताल में कोरोना से इलाज के लिए भर्ती हुई थे. जहां उपचार के दौरान अरबिदों अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया है. राहत इंदौरी कला के क्षेत्र में लोकप्रिय हस्ति है. उनके निधन की खबर आने के बाद से बॉलीवुड से लेकर राजनीतिक जगत में दुख की लहर व्याप्त हो गई है. बता दे कि हर दिनांक किसी न किसी वजह से बेहद विशेष होती है. 1 जनवरी 1950 का दिन भी दो चीजों की वजह से बेहद खास है. एक इसी दिन आधिकारिक तौर पर होल्कर रियासत ने भारत में विलाय होने वाले पत्र पर हस्ताक्षर किए थे. वहीं इस तीरीख के खास होने की दूसरी वजह यह है कि 1 जनवरी 1950 को राहत साहब का जन्म हुआ था. वह दिन इतबार का था और इस्लामी कैलेंडर के अनुसार ये 1369 हिजरी थी और तारीक 12 रबी उल अव्वल थी. इसी दिन रिफअत उल्लाह साहब के घर राहत साहब की पैदाइश हुई जो बाद में हिन्दुस्तान की पूरी जनता के मुश्तरका ग़म को बयान करने वाले शायर हुए. इसके अलावा जब राहत साहब के वालिद रिफअत उल्लाह 1942 में सोनकछ देवास जिले से इंदौर आए तो उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन उनका राहत इस शहर की सबसे बेहतरीन पहचान बन जाएंगे. राहत साहब का बचपन का नाम कामिल था. बाद में इनका नाम बदलकर राहत उल्लाह कर दिया गया. राहत साहब का बचपन मुफलिसी में गुजरा. वालिद ने इंदौर आने के बाद ऑटो चलाया, मिल में काम किया, लेकिन उन दिनों आर्थिक मंदी का दौर चल रहा था. 1939 से 1945 तक चलने वाले दूसरे विश्वयुद्ध ने पूरे यूरोप की हालात खराब कर रखी थी. उन दिनों भारत के कई मिलों के उत्पादों का निर्यात युरोप से होता था. दूर देशों में हो रहे युद्ध के कारण भारत पर भी असर पड़ा. मिल बंद हो गए या वहां छटनी करनी पड़ी. राहत साहब के वालिद की नौकरी भी चली गई. हालात इतने खराब हो गए कि राहत साहब के परिवार को बेघर होना पड़ा. जब राहत साहब ने आगे कलम थामा तो इस वाकये को शेर में बयां किया..