बँटवारे पर तूल गए, कर पिता से क्लेश . साइकिल पर सवार हुए, राहुल संग अखिलेश. कांग्रेस सपा में नही रहा, अब कोई राग ना द्वेष. राहुल ने भी रंग लिया, समाजवादी का भेष. साइकिल का हैंडल अब, आया अखिलेश के हाथ. संग-संग पैडल मारकर, राहुल दे रहे साथ. ब्रेक रामगोपाल के,घंटी प्रियंका हाथ. पहिये बने मुलायम, घूम रहे बार बार. समाजवादी की इस साइकिल के पीछे, दौड़ रहे कुछ लोग. दौड़ते-दौड़ते राजनीति ही, बन गया उनका शोक. अमर सिंह छर्रे बने, घिसा रहे हर रोज. शिवपाल धक्का दे रहे, ये कैसा संयोग. अखिलेश मन मुस्कान है, सुन राहुल के बोल. कांग्रेस के इस लड़के का, नही है कोई मोल. भाषण इसका ओजस्वी, ओजस्वी है बोल. पता नही चलता है, किसकी खोल रहा है पोल. साइकिल से उतरे राहुल तो, बैठे खटिया छांव. बोला एक गरीब, आपकी खटिया का नही कोई भाव. खाट सम्मलेन से लेकर आये, एक नही चार-चार . भला हो राहुल जी आपका, खटिया पर सुला दिया परिवार. राहुल बोले फ़िक्र करो ना, अब देगे तकिया और रजाई. याद करोगे हमने भी, तुम्हे केसी नींद सुलाई. बोला फिर गरीब, बात सही है भाई. पर निकल गयी जब ठंड, आपको याद रजाई आई. "कवि- बलराम सिंह राजपूत" कही तिरंगा पूछ ना बैठे, किसको तू सुना रहा है National Voters Day: वोट पर भारी ना होने दे नोट को क्या 60 साल में कभी बजे थे ऐसे रात के आठ..... UP election : कबीरा कुर्सी एक है........