नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश को संबोधित किया। उन्होंने देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि यह राज्य सरकारें थीं, जिन्होंने माँग की थी कि उन्हें अपने प्रदेश के लोगों के लिए वैक्सीन खरीदने की इजाजत दी जाए। राज्य सरकारों ने माँग की थी कि वैक्सीन की खरीद में उनका और ज्यादा योगदान होना चाहिए। हालाँकि, जल्द ही उन्हें यह एहसास हो गया कि यह कार्य उनकी क्षमता से बाहर है। इसलिए उन्होंने ये राग अलापना बंद कर दिया और केंद्र द्वारा वैक्सीन खरीद की माँग करने लगे। वैक्सीन को लेकर जो सियासत हुई थी, उसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी भी शामिल थे। उन्होंने 8 अप्रैल, 2021 को पीएम मोदी को पत्र लिखकर माँग की थी कि वैक्सीन खरीद में राज्य सरकारों की ज्यादा भूमिका होनी चाहिए। राहुल गाँधी ने पत्र में लिखा था कि, “सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य का विषय है, हमारे राज्यों को वैक्सीन की खरीद से लेकर पंजीकरण तक प्रत्येक मामले में दरकिनार कर दिया गया है।” उन्होंने पीएम मोदी से यह भी कहा था कि वैक्सीन की खरीद एवं वितरण में राज्यों की भूमिका बढ़ाई जाए और इस मुश्किल घड़ी में गरीब तबकों को सीधी आर्थिक सहायता दी जाए। राहुल के अलावा पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी इस तरह की माँग की थीं। ममता ने 24 फरवरी 2021 को पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में कहा था कि, “हम आपसे आग्रह करते हैं कि कृपया इस मामले को उपयुक्त अधिकारियों के साथ उठाएँ, ताकि राज्य सरकार शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित जगहों से वैक्सीन खरीद सकें, क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार सभी लोगों का फ्री टीकाकरण करना चाहती है।” वहीं, पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि मई के दो हफ्ते बाद राज्यों को यह एहसास होने लगा कि पहले की नीति अधिक बेहतर थी। पहले की नीति एक केंद्रीकृत वैक्सीन खरीद नीति थी, जिसे राज्य बदलना चाहते थे। हालाँकि, अब केंद्र सरकार ने फिर से राज्यों के आग्रह पर पुरानी नीति पर लौटने का निर्णय लिया है। अब केंद्र सरकार उपलब्ध टीकों का 75% राज्यों को मुफ्त देगी। वहीं, 25 फीसद वैक्सीन अभी भी निजी अस्पतालों को खरीदने के लिए उपलब्ध रहेगी। थाईलैंड ने अधिक प्रकोप के बीच शुरू किया कोरोना टीकाकरण अभियान महात्मा गांधी की परपोती को 7 साल की जेल, जालसाजी के आरोप में मिली सजा तुर्की पुलिस ने इस्तांबुल में जब्त कीं 415 तस्करी की ऐतिहासिक कलाकृतियां: रिपोर्ट