क्या राहुल गांधी को समझ आ गया 'हिन्दू-हिंदुत्व' का अर्थ, या फिर चुनाव आ गए ? बोले- सत्यम शिवम् सुंदरम

नई दिल्ली: हिन्दू-हिंदुत्व पर अपने बयानों से कई तरह के विवादों को जन्म देने वाले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को आखिरकार 'हिन्दू' और 'हिंदुत्व' दोनों का मतलब समझ आ गया है। उनके सोशल मीडिया पोस्ट को देखकर तो ऐसा ही लगता है, हालाँकि, कुछ लोग इसे चुनावी स्टंट भी बता रहे हैं, जैसे 2019 के चुनाव में राहुल गांधी दत्तात्रेय गौत्र के जनेऊधारी ब्राह्मण बने थे। हालाँकि, इस साल सावन में उन्होंने RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साथ जमकर बकरे का गोश्त नोश फ़रमाया और अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए भी पैक कराकर ले गए। शायद, कश्मीरी ब्राह्मण मांस खाते होंगे, वो भी सावन में ? बहरहाल, हम बात कर रहे हैं, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के सोशल मीडिया पोस्ट की, जिसमे उन्होंने 'सत्यम शिवम् सुंदरम' शीर्षक के साथ हिन्दू धर्म की अद्भुत व्याख्या की है और हिंदुत्व क्या होता है, वो समझाया है। उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा और इसमें निहित करुणा, प्रेम, त्याग, दया को रेखांकित करते हुए एक पोस्ट की है, जिसे आप पूरा यहाँ पढ़ सकते हैं:-

 

''सत्यम्‌ शिवम् सुंदरम्‌ 

कल्पना कीजिए, ज़िंदगी प्रेम और उल्लास का, भूख औट भय का एक महासागर है; और हम मब उममें तैर रहे हैं। इसकी खूबसूरत और भयावह, शक्तिशाली और सतत परिवर्तनशील लहरों के बीचों बीच हम जीने का प्रयत्न करते हैं। इस महासागर में - जहां प्रेम, उल्लास और अथाह आनंद है - वहीं भय भी है। मृत्यु का भय, भूख का भय, दुखों का भय, लाभ-हानि का भय, भीड़ में खो जाने और असफल रह जाने का भय। इस महासागर में सामूहिक और निरंतर यात्रा का नाम जीवन है, जिसकी भयावह गहराइयों में हम सब तैरते हैं। भयावह इसलिए, क्योंकि इस महासागर में आज तक न तो कोई बच पाया है, न ही बच पाएगा। 

जिस व्यक्ति में अपने भय की तह में जाकर इस महासागर को सत्यनिष्ठा से देखने का साहस है - हिंदू वही है। यह कहना कि हिंदू धर्म केवल कुछ सांस्कृतिक मान्यताओं तक सीमित है, उसका अल्प पाठ होगा। किसी राष्ट्र या भूभाग-विशेष से बांधना भी उसकी अवमानना है। भय के साथ अपने आत्म के सम्बंध को समझने के लिए मनुष्यता द्वारा खोजी गई एक पद्धति है हिन्दू धर्म। यह सत्य को अंगीकार करने का एक मार्ग है। यह मार्ग किसी एक का नहीं है, मगर यह हर उस व्यक्ति के लिए सुलभ है, जो इस पर चलना चाहता है।

एक हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारतापूर्वक आत्मसात करता है, क्योंकि वह जानता है कि जीवनरूपी महासागर में हम सब डूब-उतर रहे हैं। अस्तित्व के लिए संघर्षरत सभी प्राणियों की रक्षा वह आगे बढ़कर करता है। सबसे निर्बल चिंताओं और बेआवाज़ चीजों के प्रति भी वह सचेत रहता है। निर्बल की रक्षा का कर्तव्य ही उसका धर्म है। सत्य और अहिंसा की शक्ति से संसार की सबसे असहाय पुकारों को सुनना और उनका समाधान ढूँढना ही उसका धर्म है।

एक हिंदू में अपने भय को गहनता में देखने और उसे स्वीकार करने का साहस होता है। जीवन की यात्रा में वह भयरूपी शत्रु को मित्र में बदलना सीखता है। भय उस पर कभी हावी नहीं हो पाता, वरन घनिष्ठ सखा बनकर उसे आगे की राह दिखाता है। एक हिंदू का आत्म इतना कमज़ोर नहीं होता कि वह अपने भय के वश में आकर किसी क़िस्म के क्रोध, घृणा या प्रतिहिंसा का माध्यम बन जाये। 

हिंदू जानता है कि संसार की समस्त ज्ञानराशि सामूहिक है और सब लोगों की इच्छाशक्ति व प्रयास से उपजी है। यह सिर्फ उस अकेले की संपत्ति नहीं है। सब कुछ सबका है। वह जानता है कि कुछ भी स्थायी नहीं और संसार-रुपी महासागर  की इन धाराओं में जीवन लगातार परिवर्तनशील है। ज्ञान के प्रति उत्कट जिज्ञासा की भावना से संचालित हिंदू का अंतकरण सदैव खुला रहता है। वह विनम्र होता है और इस भवसागर में विचार रहे किमी भी व्यक्ति मे सुनने-सीखने को प्रस्तुत। 

हिंदू सभी प्राणियों से प्रेम करता है। वह जानता है कि इस महासागर में तैरने के सबके अपने-अपने रास्ते और तरीके हैं। सबको अपनी राह पर चलने का अधिकार है। वह सभी रास्तों से प्रेम करता है, सबका आदर करता है और उनकी उपस्थिति को बिल्कुल अपना मानकर स्वीकार करता है। 

सत्यम्‌ शिवम् सुंदरम !''

3 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी के इस ह्रदय परिवर्तन से कई लोग आश्चर्यचकित हैं। क्योंकि पिछले कुछ घटनाक्रम इसमें विरोधाभास पैदा करते हैं। जैसे DMK नेता उदयनिधि स्टालिन के मामले को ही ले लो, उन्होंने पूरे सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) को डेंगू-मलेरिया बताकर इसका समूल नाश करने का आह्वान किया था, कार्ति चिदंबरम, लक्ष्मी रामचंद्रन, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने उदयनिधि के बयान का खुलेआम समर्थन भी किया था। उम्मीद की गई थी कि, देशभर में 'मोहब्बत की दूकान' खोल रहे राहुल गांधी, इस मामले पर कुछ बोलेंगे, अपने साथी DMK के नेता उदयनिधि को नहीं, तो कम से कम अपनी पार्टी के नेताओं को ही हिन्दू धर्म का ज्ञान दे देंगे, लेकिन एक महीना बीत चुका है, राहुल मौन हैं। 

हिन्दू देवी-देवता शक्तिहीन, जीसस ही असली ईश्वर, सुनते रहे थे राहुल:-

आज राहुल गांधी ने हिन्दू धर्म की खूबियां गिनाते हुए जो दो पन्नों का लेख पोस्ट किया है, क्या 1 साल पहले राहुल के ये विचार नहीं थे, हाल में ही कहीं से प्राप्त हुए हैं ? क्योंकि, पिछले साल सितम्बर में जब राहुल गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' निकाल रहे थे, तब वे तमिलनाडु में हिन्दू विरोधी और भारत विरोधी पादरी जॉर्ज पोन्नैया (George Ponniah) से मिले थे। एक कमरे में हुई इस बातचीत में पादरी राहुल को समझा रहे थे कि, 'यीशु मनुष्य के रूप में जन्मे असली भगवान हैं। शक्ति (माँ दुर्गा को ही 'शक्ति' कहा जाता है) और अन्य की तरह नहीं।' लेकिन, जनेऊधारी ब्राह्मण राहुल चुपचाप एक शिष्य की भाँती पादरी से ज्ञान लेते रहे, वो पादरी को समझा सकते थे कि, हिन्दू तो सबको एक ही नज़र से देखता है, वो हाजी अली भी जाता है, अजमेर शरीफ भी और माता मरियम के चर्च भी, वो तो किसी को झूठा नहीं कहता। लेकिन, शायद तब राहुल को हिन्दू धर्म का ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ होगा। 

मंदिर में जाने वाले लोग लड़कियां छेड़ते हैं :- राहुल गांधी

2014 तो बहुत पुरानी बात हो गई, लेकिन फिर भी याद कर ली लेते हैं। उस समय भी राहुल तक़रीबन 44 साल के परिपक्व थे ही और जनेऊधारी ब्राह्मण तो बचपन से हैं। लेकिन, 2014 में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राजीव गांधी की 70वीं जयंती पर महिला कांग्रेस के अधिवेशन में भाषण देते हुए राहुल गांधी बोल गए थे कि, ''जो लोग मंदिर जाते हैं, मंदिर में जाकर मत्था टेकते हैं और जो आपको मां- बहन कहते हैं, वही लोग आपको बस में छेडते हैं।'' अब या तो मंदिरों में गैर-हिन्दू जाते हैं, या फिर राहुल की हिन्दू धर्म की परिभाषा गलत है। गलत लोग, हर धर्म में होते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन यह कहना कि जो लोग मंदिर जाते हैं, वही लड़कियों को छेड़ते हैं, तो पूरे समुदाय को टारगेट करना है। 

हिंदुत्ववादियों को देश से बाहर निकालना है :- राहुल गांधी

ये बात है दिसंबर 2021 की, उस समय "महंगाई हटाओ महारैली" के राजस्थान में राहुल गांधी ने कहा था कि, ''मैं हिन्दू हूँ, हिंदुत्ववादी नहीं, 2014 से देश में हिन्दुत्ववादियों का राज है, हमें इन हिन्दुत्ववादियों को देश से बाहर निकालना है और देश में हिन्दुओं का राज लाना है।'' हालाँकि, इससे पहले भी राहुल गांधी हिन्दू और हिंदुत्व में गफलत करते रहे थे, उन्हें समझाया भी गया कि, जैसे माता में माँ होने का भाव 'मातृत्व' होता है, पुरुष में 'पुरुषत्व' होता है, जैसे 'बुद्धत्व' को प्राप्त करके ही सिद्धार्थ गौतम बुद्ध बने, वैसे हिन्दू होने के भाव को ही 'हिंदुत्व' कहा जाता है। लेकिन राहुल ठहरे राहुल, उन्हें लोगों को हिन्दू और हिंदुत्व में बांटना था, जो भी बातों के जाल में उलझकर वोट में तब्दील हो जाएं, वही बहुत। अभी वे SC/ST, OBC को अपनी तरफ करने की कोशिश करते नज़र आ रहे हैं. बिलकुल वैसे ही जैसे कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) ने भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने के लिए प्लान बनाया है। PFI भी SC/ST, OBC  को बाकी हिन्दुओं से अलग कर अपने साथ मिलाना चाहता है, ताकि उनके वोटों से सत्ता पर कब्ज़ा कर सकें और फिर भारत में शरिया कानून लागू। हालाँकि,  हिन्दू और जनेऊधारी ब्राह्मण राहुल गांधी से एक सवाल और भी है कि, क्या उनका हिन्दू धर्म भगवान राम को काल्पनिक मानता है और 'अन्याय' का साथ देने को कहता है ? पूरी कांग्रेस वकीलों की फ़ौज के साथ सुप्रीम कोर्ट में भगवान् राम को काल्पनिक साबित करने और अयोध्या में वापस मस्जिद बनवाने के लिए लड़ रही थी, सभी जानते थे कि, वो मंदिर किसने तोड़ा था, लेकिन कांग्रेस के विरोध के चलते इसमें सदियां लग गईं, 2007 में इस संबंध में मनमोहन सरकार ने हलफनामा भी दाखिल किया था। उस वक़्त भी राहुल 37 वर्ष के परिपक्व थे, जब वे उस समय मनमोहन सरकार का अध्यादेश फाड़ सकते थे, तो क्या वे राम सेतु तोड़ने जा रही कांग्रेस को नहीं रोक सकते थे ? एक सवाल और भी है, वो ये कि, राहुल अपने हर विदेश दौरे पर भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का राग अलापते हैं, भारत में बहुसंख्यक तो हिन्दू ही हैं, जिनको आज लेख में राहुल ने बहुत शांतिप्रिय और सबसे प्रेम करने वाला बताया है, तो फिर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कौन कर रहा है ?

बातें तो 'हिन्दू आतंकवाद' शब्द गढ़ने, पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए 26/11 मुंबई हमले को RSS की साजिश बताने, हिन्दू संगठनों को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोइबा से अधिक खतरनाक बताने, मैं किसी भी तरह के हिंदुत्व पर विश्वास नहीं करता कहने, से लेकर बहुत कुछ हैं। हाल ही में राहुल ने सांसदों को मंदिरों की मूर्तियों की तरह शक्तिहीन बताया था। लेकिन अब शायद 'तपस्वी' राहुल गांधी को हिन्दू धर्म का मतलब समझ में आ गया है, या फिर चुनाव आ गए हैं ?  ये भी गौर करने वाली बात है कि, राहुल कभी अपनी माता के धर्म (ईसाई) पर ज्ञान नहीं देते ? इफ्तार पार्टियों में तो जाते हैं, लेकिन कभी इस्लाम पर भी नहीं बोलते, शायद उन्हें हिन्दू धर्म से बहुत ही अधिक प्रेम है।

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