नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति बीआर गवई ने अपने आप को केस से अलग करने की पेशकश कर दी। दरअसल, उन्होंने इसके लिए कांग्रेस के साथ अपने पारिवारिक रिश्ते होने की बात कही। न्यायमूर्ति वीआर गवई ने कहा कि, 'मेरे पिता कांग्रेस से जुड़े हुए थे। वह कांग्रेस के स्थायी सदस्य तो नहीं थे, मगर पार्टी से जुड़े हुए थे। जस्टिस गावै ने कहा कि, अभिषेक मनु सिंघवी जी (कांग्रेस के राज्यसभा सांसद) आप भी कांग्रेस के साथ 40 सालों से अधिक समय से हैं और मेरे भाई अब भी राजनीति में हैं और कांग्रेस में हैं। कृपया आप लोग फैसला लें कि मुझे इस सुनवाई में शामिल करना चाहते हैं या नहीं।' हालांकि, दोनों ही पक्षों ने जस्टिस गवई के सुनवाई करने पर कोई आपत्ति नहीं जताई। इसके बाद अदालत की तरफ से नोटिस जारी किए गए। बता दें कि, आज यानी शुक्रवार को न्यामूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से राहुल गांधी के खिलाफ मुकदमा दाखिल करने वाले भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी और गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। इस मामले पर 4 अगस्त को सुनवाई होगी। इससे पहले कांग्रेस नेता और पेशे से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि, 'याचिकाकर्ता (राहुल) 111 दिनों से भुगत रहे हैं। वह पहले संसद का एक सत्र गंवा चुके हैं और एक और गंवा रहे हैं। वायनाड संसदीय क्षेत्र के लिए उपचुनाव शीघ्र होंगे। जेठमलानी जी अयोग्यता को लेकर चिंतित नहीं होंगे। अयोग्यता को अंतरिम रूप से निलंबित किया जा सकता है।' इस पर अदालत ने कोई भी आदेश जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि दूसरे पक्ष को भी सुना जाना जरूरी है। बता दें किm 2019 में कर्नाटक में एक रैली के दौरान 'मोदी सरनेम' को लेकर राहुल ने बयान दिया था। जिसके बाद सूरत की अदालत द्वारा उन्हें आपराधिक मानहानि का दोषी करार देते हुए उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई गई थी। 'भाजपा समर्थकों ने मणिपुर में जला डाला 300 साल पुराना चर्च..', कांग्रेस समर्थकों के इस दावे में कितनी सच्चाई, देखें Video बंगाल में महिला प्रत्याशी को निर्वस्त्र कर पीटा, पंचायत चुनाव के मतदान वाले दिन की सनसनीखेज घटना मानहानि मामला: राहुल गांधी की याचिका पर पूर्णेश मोदी और गुजरात सरकार को 'सुप्रीम' नोटिस, 4 अगस्त को अगली सुनवाई