सावरकर पर बयान देकर फंसे राहुल गांधी, कोर्ट ने बड़ी बात कहकर भेजा समन

मुंबई: महाराष्ट्र के नासिक जिले की एक अदालत ने हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर यानी वीर सावरकर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया है। अदालत ने 27 सितंबर को राहुल गांधी को समन जारी किया। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दीपाली परिमल केडुस्कर ने अपने आदेश में कहा कि "एक देशभक्त व्यक्ति के खिलाफ दिया गया बयान प्रथम दृष्टया अपमानजनक प्रतीत होता है।"

राहुल गांधी को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है, हालांकि यह निर्णय अभी बाकी है कि वह व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे या अपने कानूनी प्रतिनिधि के माध्यम से। यह मामला एक गैर सरकारी संगठन के निदेशक द्वारा दायर किया गया है, जिन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने हिंगोली में एक संवाददाता सम्मेलन और नवंबर 2022 में एक भाषण के दौरान वीर सावरकर की प्रतिष्ठा को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। शिकायतकर्ता के अनुसार, राहुल ने अपने भाषण में कहा था कि "सावरकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के जिन्न हैं" और उन्होंने सावरकर पर आरोप लगाया कि ''सावरकर ने हाथ जोड़कर रिहाई के लिए प्रार्थना की और उन्होंने ब्रिटिश सरकार के लिए काम करने का वादा भी किया।'' 

अदालत ने रिकॉर्ड पर प्रस्तुत साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद कहा कि राहुल द्वारा एक देशभक्त व्यक्ति के खिलाफ दिया गया बयान मानहानिकारक प्रतीत होता है, और इस आधार पर अदालत ने राहुल गांधी के खिलाफ समन जारी किया है।

कौन थे वीर सावरकर ?

विनायक दामोदर सावरकर एक महान स्वतंत्रता सेनानी और हिंदुत्व के प्रखर समर्थक थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। अंग्रेजों ने उन्हें "दोहरी कालापानी" की सजा सुनाई थी, जो अपने आप में एक अनूठी और कड़ी सजा थी। उन्हें अंडमान निकोबार द्वीप समूह की सेलुलर जेल में 50 वर्षों की कठोर कारावास की सजा दी गई थी। वीर सावरकर ने कालापानी की जेल में लगभग 10 वर्षों तक अत्यधिक यातनाएं सहन कीं। इस दौरान उन्हें जंजीरों से बांधा गया, कोड़ों की सजा दी गई, और नारकीय परिस्थितियों में रखा गया। इसके बावजूद सावरकर ने हार नहीं मानी और अपने राष्ट्रप्रेम को कभी कम नहीं होने दिया।

जिसे अंग्रेज़ मात्र सैनिक विद्रोह बताकर दबाते रहे, सावरकर ने उसे 'क्रांतिकारियों की गीता' बना दिया। उन्होंने पूरे शोध के साथ "1857 का स्वतंत्रता संग्राम" नामक पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने 1857 के विद्रोह को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम घोषित किया। इस पुस्तक ने भारतीयों के मन में स्वतंत्रता की भावना को जगाने में अहम भूमिका निभाई। भगत सिंह से लेकर कई क्रांतिकारियों ने इस पुस्तक की सराहना की। सावरकर ने 'हिंदुत्व' का विचार प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति और समाज को एकजुट रखने का संदेश दिया। उनके लेखन, विचार और कार्यों ने स्वतंत्रता संग्राम में नई ऊर्जा भरी।

वीर सावरकर ने न केवल अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी बल्कि अपने लेखन और विचारों से भी स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी। क्या ऐसे महान व्यक्ति, जिनका देश के लिए इतना बड़ा योगदान रहा है, के खिलाफ अपमानजनक बयान देना उचित है? सावरकर ने अपनी पूरी जिंदगी भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और इतने वर्षों तक कठोर कारावास की यातनाएं सहन कीं। राहुल गांधी द्वारा इस तरह के बयान, जिसमें सावरकर की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया, क्या यह सही है? अब इसका फैसला अदालत को करना है। 

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