राहुल गांधी को दोहरा झटका, ED आज फिर करेगी पूछताछ, कोर्ट ने ठुकराई याचिका

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी से प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सवालों का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है। राहुल गांधी लगातार तीसरे दिन बुधवार (15 जून 2022) को ED के समक्ष पेश होंगे। इधर राहुल गांधी महाराष्ट्र के ठाणे की एक कोर्ट से भी झटका लगा है। अदालत ने राहुल गाँधी की उस याचिका को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक स्वयंसेवक द्वारा दाखिल मानहानि के मुक़दमे को ट्रांसफर करने अपील की थी।

जानकारी के अनुसार, राहुल गाँधी की याचिका गत वर्ष दिसंबर में ही खारिज कर दी गई थी, मगर यह आदेश मंगलवार (14 जून 2022) को वेबसाइट पर अपलोड किया गया। दरअसल, संघ के स्वयंसेवक विवेक चंपानेरकर ने 2019 में अपने वकील आदित्य मिश्रा के जरिए मानहानि का यह मुकदमा दाखिल किया था। इसमें कहा गया था कि RSS एक सामाजिक संगठन है और राहुल गाँधी एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के महासचिव सीताराम येचुरी द्वारा की गई टिप्पणियों के कारण यह बदनाम हो रहा है। चंपानेरकर ने आरोप लगाया था कि गाँधी और येचुरी, पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को लेकर RSS को बदनाम कर रहे हैं। चंपानेरकर ने राहुल गाँधी से 1 रुपए का सांकेतिक मुआवजा माँगा था।

फिलहाल यह मामला सिविल जज, सीनियर डिवीजन के समक्ष विचाराधीन है। मुक़दमे को ट्रांसफर करने की माँग करते हुए राहुल गाँधी के वकील ने दलील दी थी कि इसे सिविल जज, जूनियर डिवीजन को स्थानांतरित किया जाना चाहिए, क्योंकि वादी द्वारा माँगा गया मुआवजा 5 लाख से कम था। इसके बाद प्रधान जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि राहुल गाँधी उसी न्यायाधीश के सामने वित्त संबंधी क्षेत्राधिकार का मुद्दा उठा सकते हैं, जो केस की सुनवाई कर रहे हैं। बता दें कि गौरी लंकेश की हत्या के एक दिन बाद 6 सितंबर, 2017 को राहुल गँधी ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, 'जो कोई भी RSS/भाजपा के खिलाफ बोलता है, उस पर हमला किया जाता है और मार भी दिया जाता है। वे सिर्फ एक विचारधारा को थोपना चाहते हैं जो भारत के स्वरूप के खिलाफ है।'

क्या है नेशनल हेराल्ड केस ? 

बता दें कि, भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिवंगत नेता मोतीलाल वोरा, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा पर संगीन आरोप लगाए थे। उनका आरोप था कि यंग इंडिया लिमिटेड के माध्यम से गलत तरीके से इसका अधिग्रहण किया गया है और कांग्रेस नेताओं ने 2,000 करोड़ रुपये तक की संपत्ति हड़प ली। इस मामले की जांच 2014 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से शुरू की गई थी। कांग्रेस इस मामले को लेकर कहती रही है कि यंग इंडिया लिमिटेड का उद्देश्य प्रॉफिट कमाना नहीं है बल्कि इसका गठन चैरिटी के लिए किया गया है।

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