नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने भाजपा, RSS , लकतंत्र, संविधान पर काफी कुछ कहा। जो कमोबेश वैसा ही था, जैसा उन्होंने पिछले साल के दौरे पर कहा था। हालाँकि, इस बार उन्होंने कुछ अधिक भड़काऊ बातें कही हैं, जो भारत में समाज में विभेद पैदा करने वाली हैं। भाजपा-RSS पर उनके बार-बार के बयानों से तो सभी परिचित हैं। इस बार उन्होंने सिख समुदाय को लेकर कहा है कि, ''भारत में लड़ाई राजनीति के बारे में नहीं है, बल्कि इस बात के लिए है कि एक सिख के तौर पर उन्हें पगड़ी पहनने की इजाजत दी जाएगी या नहीं। क्या उन्हें भारत में गुरुद्वारा जाने का अवसर मिलेगा ?'' खैर, ये बात राहुल गांधी से भी पूछी जानी चाहिए कि भारत में एक घटना बताइए, जब सिखों को पगड़ी पहनने से रोका गया हो, या गुरूद्वारे जाने से रोका गया हो ? वैसे राहुल के सामने बैठा एंकर भी ये सवाल नहीं पूछेगा, क्योंकि सवालों की लिस्ट तो उसे पहले ही मिल चुकी है। 1984 भी राहुल को याद होना चाहिए, जब सिखों को गले में टायर डालकर जिन्दा जला दिया गया था और उन्हें केश काटकर अपनी पहचान छिपानी पड़ी थी। इस मामले में कई कांग्रेस नेताओं पर मुक़दमे चल रहे हैं। राहुल गांधी के इस बयान पर सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा फूट रहा है। बहरहाल, अभी राहुल गांधी, सिखों को भड़काने में लगे खालिस्तानी संगठनों की भाषा को ही राजनितिक रूप देकर आतंकियों का काम आसान करते नज़र आ रहे हैं। अमेरिका में वैसे ही खालिस्तानी तत्व बढ़ रहे हैं, कई बार भारतीय दूतावास पर हमले हुए हैं, तिरंगे का अपमान हुआ है, अब अगर खालिस्तानी लोग, राहुल गांधी के इन भाषणों का इस्तेमाल करके सिखों को भड़का दे और भारत के विरोध में खड़ा कर दे, तो क्या राहुल गांधी उसकी जवाबदारी लेंगे ? या सिर्फ उस अराजकता से मिलने वाली कुर्सी लेना चाहेंगे ? जैसे बांग्लादेश में हुआ। अमेरिका में गुरुद्वारा समिति के सदस्यों से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने एक व्यक्ति से उसका नाम पूछा और फिर कहा कि भारत में लड़ाई इस बात को लेकर है कि उसे (सिख को) पगड़ी या कड़ा पहनने की इजाजत होगी या नहीं। कांग्रेस सांसद ने कहा कि, "सबसे पहले, आपको यह समझना होगा कि लड़ाई किस बारे में है। लड़ाई राजनीति के बारे में नहीं है। यह सतही है। आपका नाम क्या है? लड़ाई इस बारे में है कि क्या...एक सिख के तौर पर भारत में उन्हें पगड़ी पहनने की अनुमति दी जाएगी या नहीं। या फिर एक सिख के तौर पर उसे कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी। या एक सिख गुरुद्वारा जा सकेगा। यही लड़ाई है और सिर्फ़ उसके लिए नहीं, सभी धर्मों के लिए है।" इसके बाद राहुल गांधी ने भारत में हुए लोकसभा चुनावों पर भी बात की, उन्होंने कहा कि, 'चुनावों से पहले, हम इस विचार पर जोर देते रहे कि संस्थाओं पर RSS ने कब्जा कर लिया है। RSS ने पूरी शिक्षा प्रणाली पर नियंत्रण कर लिया है। मीडिया और जांच एजेंसियों पर कंट्रोल है। हम लोगों से ऐसा कहते रहे, मगर लोगों को समझ में नहीं आ रहा था. फिर हमने संविधान का मुद्दा उठाया और जो कुछ भी कहा था, वह अचानक से फूट पड़ा।' राहुल गांधी ने कहा कि, 'गरीब भारत, उत्पीड़ित भारत ने यह समझ लिया कि यदि संविधान खत्म हो गया तो सबकुछ खत्म हो जाएगा। गरीबों ने गहराई से समझ लिया कि यह संविधान की रक्षा करने वालों और इसे बर्बाद करने वालों के बीच की लड़ाई है. जाति जनगणना का मुद्दा भी बड़ा हो चुका है। ये चीजें अचानक एक साथ आने लगीं। मुझे नहीं लगता कि निष्पक्ष चुनाव होते तो भाजपा 246 सीट भी जीत पाती।' 'छोटे दिल से कभी बड़े नहीं हो सकते..', राहुल गांधी पर क्यों भड़के शिवराज सिंह 'बलात्कारियों के समर्थन में खड़ी हैं मममता बनर्जी..', बंगाल सरकार पर भाजपा ने उठाए सवाल गंगा नदी में डूबे यूपी के स्वास्थ्य अधिकारी का शव 9 दिन बाद बरामद