पटना: बिहार की सियासत देश से अलग ही चलती है. हर बार पाला बदलने के लिए मशहूर बिहार के नेता यहाँ की राजनीती को दिलचस्प बनाते है. कांग्रेस का साथ छोड़कर जदयू के साथ जाने वाले पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी का कहना था कि उन्होंने सम्मान नहीं मिलने के कारण पार्टी छोड़ दी, इसका आरोप उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सीपी जोशी पर लगाते हुए कहा कि उनकी वजह से ही मुझे पार्टी छोड़नी पड़ी है, इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार को दूसरा सबसे बेहतर मुख्यमंत्री बताते हुए कहा कि वे नीतीश की छवि और कार्यशैली से प्रभावित होकर जदयू में शामिल हो रहे हैं. हालांकि उन्होंने राहुल गाँधी की अब भी तारीफ की है. उनकी इस तारीफ ने एक बार फिर सबको सोचने पर मजबूर भी किया है. वहीं उपचुनाव, राज्यसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव व विधानसभा की लड़ाई शुरुआत से पहले एनडीए से नाराज चल रहे हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने बुधवार को विपक्षी महागठबंधन के साथ जाने का एेलान कर दिया. ये दोनों नेता जुलाई में नीतीश कुमार द्वारा फिर से भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए का दामन थामने के बाद से अपने-अपने पुराने गठबंधनों में असहज महसूस कर रहे थे. जीतन राम मांझी ने बुधवार देर शाम बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ प्रेस वार्ता कर कहा कि मुझे कुछ मुद्दों पर मतभेद था, जिसके कारण एनडीए के साथ चलना मुश्किल था, इसीलिए हमने उनका साथ छोड़ दिया। मांझी ने कहा कि शराबबंदी और बालू-संकट के कारण राज्य के गरीब तबके पर बहुत बुरी मार पड़ी है.मांझी ने आरक्षण के मुद्दे पर भी सवाल उठाया और बिहार के नए डीजीपी केएस द्विवेदी के बारे में कहा कि भागलपुर दंगे के आरोपी को डीजीपी बनाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि एनडीए में सब ठीक नहीं है।भाजपा अपने सहयोगियों को सम्मान नहीं देती है उनपर हावी रहना चाहती है. बिहार के मुख्यमंत्री को जन्मदिन की बधाई हंगामे के बीच बिहार में बजट 47 साल बाद किसान को जमीन मिली