हाल ही में गैंगस्टर से नशामुक्ति सलाहकार बने राहुल जाधव अब 19 जनवरी 2020 को यहां आयोजित होने वाली टाटा मुम्बई मैराथन में 42 किलोमीटर की फुल रेस में दौड़ने के लिए तैयार हैं. वहीं राहुल अपने शुरुआती जीवन में अवैध हथियारों और गोला बारूद के कामों में संलिप्त थे. जिसके अलावा वह एक संगठित अपराध दल में भी शामिल थे. वहीं उनके अपराध उन्हें रात को सोने नहीं देते थे और उन्हें इस बात का हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं पुलिस उन्हें पकड़ ना ले या फिर कहीं उनका इनकाउंटर न कर दे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राहुल इसी डर के कारण नशा करने लगे और इसके आदी हो गए. इसके बाद राहुल के परिवार वालों ने उन्हें मुक्तांगन नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया. इस मुक्ति केंद्र ने ना सिर्फ राहुल को एक नई जिंदगी दी बल्कि समाज में उन्हें एक नई पहचान भी दी. मुक्तितांगन की प्रमुख ने मुक्ता ताई ने वहां पर पूछा कि पुणे में होने वाले 10 किलोमीटर मैराथन दौड़ में कोई दौड़ना चाहता है क्या तो सिर्फ राहुल ही थे, जिन्होंने हाथ ऊपर किया था. राहुल ने कहा कि हां, वह दौड़ना चाहते हैं. राहुल ने कहा कि वह पिछले 10 वर्षो से पुलिस से भाग रहे हैं और पुलिस उन्हें अब तक नहीं पकड़ पाइ हैं, इसलिए उन्हें लगता है कि वह इस दौड़ में सबसे तेज भाग सकते हैं. आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि राहुल ने इसके बाद 10 किलोमीटर दौड़ के लिए खुद को तैयार किया और 55 मिनट में ही रेस पूरी कर ली. इस तरह वह अपने जीवन में पहली बार कोई पदक जीतने में सफल रहे. ऐसे कुछ और दौड़ के बाद राहुल को एक नई पहचान मिलने लगी और लोग उन्हें 'यरवडा का रनर' के नाम से जानने लगे. इस सम्मान के बाद राहुल ने 328 किलोमीटर दौड़ने का फैसला किया और उनके गांव रत्नागिरी के लोगों से फिर उन्हें सम्मान मिलने लगे. लोगों की आंखों में अपने प्रति इस सम्मान को देखकर राहुल मानने लगे कि वह इस दौड़ की वजह से ही अपने परिवार को फिर से उनका खोया हुआ सम्मान वापस दिला सकते हैं. 'द वाल' राहुल द्रविड़ का जन्मदिन आज, सचिन ने दी बधाई, सहवाग ने बताया मिक्सर ग्राइंडर... कई साल बाद मैदान पर फिर लौटा ये खिलाड़ी, आते ही बनाया नया रिकॉर्ड INDvSL: दुनिया के सभी कप्तानों को पछाड़, कोहली ने रचा इतिहास