आप चूहे मारने के लिए कितना खर्च कर सकते है या चूहों का बिल खोजने में कितना बजट पास कर सकते है. भारतीय रेलवे ने इस काम के लिए 29 करोड़ का खर्च कर दिया है. जी हा. 29 करोड. इन दिनों रेलवे चूहों के बिल ढूंढ रहा है. मगर अचरच चूहे खोजना नहीं अचरच है वो मशीन जो इस काम को कर रही है .दरअसल, रेलवे ग्रांउड पेंट्रीएशन रडार (जीपीआर) तकनीक के जरिये पटरी के नीचे बने चूहों, खरगोश जैसे छोटे जीवों के बिल खोज रहा है. इस बिलो में बरसात का पानी भर जाने से जमीं खिसकने के चांस बढ़ जाते है और इस कारण बेहद खतरनाक दुर्घटना होने की सम्भावना प्रबल रहती है. एक रेलवे अधिकारी के मुताबिक, 29 करोड़ रुपये की कीमत वाली ये रडार मशीन प्रतिदिन 160 किलोमीटर ट्रैक का सर्वे कर सकती है. सर्वे के दौरान यह रडार ट्रैक पर गिटि्टयों को भी संतुलित करते हुए जमीन के नीचे सुरंगों और बिलों को स्कैन करती है. स्कैन करने के बाद रडार मशीन विभाग को एरिया, लोकेशन की जानकारी देती है. फिलहाल रेलवे के पास 16 रडार हैं, जिनके जरिये नॉर्दन रेलवे में सर्वे कराया जा रहा है. इस बारे में नॉर्दर्न रेलवे के सीपीआरओ नितिन चौधरी ने और बताया कि चूहों के बिल के कारण रेलवे हर साल करोड़ों का नुकसान उठाता है. चूहे बिल बना देते हैं जिससे रेलवे ट्रैक धसक जाता है. इसके पहले चूहों को मारने के लिए रेलवे ने भटिंडा, लखनऊ समेत अलग-अलग मंडलों में लाखों रुपये के टेंडर दे रखे थे. लेकिन देखा गया कि चूहे तो मर गए, लेकिन उनके बिल के कारण दुर्घटनाएं होती रहीं. इसलिए रडार सिस्टम रेलवे ने खरीदा है. यह पटरी के नीचे तक के बिल की जानकारी दे देता है. इसे बिल बुझाने में काफी मदद होती है. बहरहाल मशीन की कीमत सुनकर हर किसी की आँखे फटी की फटी रह जाती है. विभिन्न पदों पर रेलवे ने निकाली 63 हजार वैकेंसी ट्रेन में अचानक आग लगने से हुआ हंगामा रेलवे के बेहतरीन कर्मचारियों को तोहफा...