जयपुर: देश में हाल ही में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। जानकारी के अनुसार बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों ने लंगर लगाए, समर्थकों ने खूब वाहन दौड़ाए। वहीं बता दें कि चुनावी मैदान में प्रचार से लेकर पैसे तक की गर्मी दिखी, लेकिन चुनाव खर्च से यह सारा हिसाब गायब है। इसके साथ ही चुनाव आयोग की ओर से तय खर्च की सीमा 28 लाख के आसपास किसी प्रत्याशी का खर्च नहीं है। मध्यप्रदेश चुनाव: मॉकपोल बन सकता है मतदान केंद्रों पर विवाद का कारण यहां बता दें कि जयपुर जिले की सभी विधानसभा सीटों पर चुनावी मैदान में कूदे प्रत्याशियों ने पानी की तरह पैसा बहाया, लेकिन जब बात रिकॉर्ड की करें तो उन्होंने निर्वाचन विभाग में इतना खर्चा बताया जिसको देख व सुन कर एक बार तो विश्वास नहीं होता, लेकिन हकीकत यही है। वहीं बता दें कि जयपुर में कांग्रेस और भाजपा के लगभग सभी प्रत्याशी करोड़पति हैं, इसका ज़िक्र उन्होंने अपने नामांकन फॉर्म में किया है। चुनाव प्रचार में बाक़ी खर्च के सिवाय नेताओं के साथ कार्यकर्ताओं की फौज चलती थी और चुनाव ऑफिस में भोजन-भंडारे होते थे। विपक्षी दलों ने भी शुरू की लोकसभा चुनावों की तैयारी, आज होगी बैठ गौरतलब है कि नेताजी को प्रमोट करने के लिए जमकर खर्च किया गया, फिर भी कागजों में किसी भी नेता ने 10 से 20 लाख से ज्यादा का खर्च नहीं बताया। इसके साथ ही बता दें कि प्रदेश में जारी चुनावी घमासान में किस्मत आजमा रहे कुछ धन्नासेठों ने भले ही चुनाव आयोग को दिए घोषणा पत्र में अपनी संपत्ति करोड़ों में बताई हो, लेकिन चुनाव प्रचार के खर्च में ये काफी कंजूसी दिखाई हैं।बता दें कि विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी अधिकतम 28 लाख रुपए तक खर्च कर सकते हैं, लेकिन व्यय लेखा में दर्ज खर्च के आंकड़ों पर गौर करें तो निर्धारित अधिकतम सीमा तक इस बार चुनाव में जिले में किसी भी प्रत्याशी का खर्चा नहीं हुआ। खबरें और भी तेलंगाना चुनाव: टीआरएस ने ठुकराया भाजपा का प्रस्ताव, कहा अपने दम पर जीतेंगे चुनाव तेलंगाना चुनाव: मतगणना से पहले ही बदल गए कांग्रेस के सुर, कहा ओवैसी से हाथ मिलाने में कोई समस्या नहीं तेलंगाना चुनाव: केसीआर और ओवैसी की दोस्ती ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें