जयपुर: राजस्थान विधान सभा चुनाव में इस बार कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच कड़ी टक्कर है, सत्तारूढ़ भाजपा के लिए दोबरा सत्ता में वापसी करने आसान नहीं होगा, जबकि अंदरूनी कलह से जूझ रही कांग्रेस लगातार प्रदेश में पार्टी की संभावनाओं को बेहतर करने की कोशिशों में जुटी है. राज्य के मतदाताओं पर दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों की पैनी नजर है, प्रदेश में राजपूत, जाट, एसएसी, एसटी समुदाय को वोटबैंक में तब्दील कर अपने पक्ष में करने के लिए पार्टी के रणनीतिकार अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं. राजस्थान चुनाव: भीम सेना कर रही कांग्रेस के लिए प्रचार पिछले बार के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो भाजपा ने 2013 में प्रदेश की 59 आरक्षित सीटों में से 50 सीटों पर जीत दर्ज की थी. ऐसे में एसएसी और एसटी सीटों पर एक बार फिर से विजय परचम लहराना भाजपा के लिए शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है. हालांकि जिस तरह से पिछले कुछ सालों में दलितों के खिलाफ शोषण और मॉब लिंचिंग की घटनाएं सामने आई हैं, उसके बीच भाजपा के लिए यह राह आसान नहीं होने वाली है. राजस्थान विधानसभा चुनाव: एक गांव ऐसा भी जहां रहते हैं ज्योतिषी, करते हैं भविष्यवाणी वहीं कांग्रेस की बात करें तो इस पार्टी ने 2013 ने प्रदेश की कुल 200 विधानसभा सीटों में से उन 34 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जोकि एससी और एसटी के लिए आरक्षित सीटें थीं. राज्य में अगर एससी और एसटी वोटबैंक पर नजर डालें तो 17.8 फीसदी एससी वोटर हैं, जबकि 13.5 फीसदी वोटर एसटी समुदाय के हैं. जोकि कुल मिलाकर तकरीबन 31.3 फीसदी हैं, लिहाजा पिछले दो विधानसभा चुनाव में एससी एसटी मतदाताओं ने सरकार गठन में अहम भूमिका अदा की थी. खबरें और भी:- छत्तीसगढ़: विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने कांग्रेस ने कसी कमर राजस्थान विधानसभा चुनाव: मार्ग में आगे जाने से पहले करना पड़ती है बुलेट बाबा की पूजा तेलंगाना चुनाव 2018: राहुल गांधी ने मोदी, केसीआर और ओवैसी को बताया एक