जयपुर: सरकार चाहे केन्द्र की हो या राज्य की योजनाओं का बुनियादी आधार देश के किसान ही है. हर कोई किसान को मजबूत करने की बात करता है. फिर चाहे 'सबका साथ-सबका विकास' का नारा देने वाले नेतागण हों, या 'आम आदमी के साथ अपनी पार्टी का हाथ' की बात करने वाले राजनेता. इसी क्रम में अगर राजस्थान के बजट की बात करें तो इस बार कुल बजट का लगभग बीस प्रतिशत किसानों पर खर्च करने का टारगेट रखा गया है. इसमें कृषि और उससे सम्बंधित दूसरी सेवाओं पर 8 हजार 57 करोड़ रुपए, ग्रामीण विकास पर 12 हज़ार 873 करोड़ रुपए और सिंचाई पर दो हजार 939 करोड़ रुपए के साथ ही वित्तीय, सामाजिक और सामुदायिक सेवाओं के दूसरे व्यय भी शामिल हैं. हालांकि, इन सबके बीच चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार को यह पता ही नहीं है कि जिन किसानों के लिए यह पैसा खर्च किया जाना है, उनकी आबादी कितनी है? खुद सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना का कहना है कि सरकार के पास किसानों की तादाद का कोई रिकॉर्ड नहीं है. सरकार के मंत्री ने किसानों की संख्या का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने की बात कह तो दी, किन्तु वह यह नहीं बता सके कि यदि किसानों का आंकड़ा नहीं है तो फिर सरकार किसानों के लिए योजनाएं किस बात को आधार मानकर बनाती है? इस पर आंजना की दलील है कि अभी तक राज्य में किसानों की जोत के आधार पर काम होता आया है. नहीं थम रहा आज़म के बयान पर बवाल, नकवी बोले- स्पीकर का फैसला मान्य होगा ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-2 का शुभारंभ करेंगे गृहमंत्री अमित शाह, शामिल होंगे 3000 निवेशक डिप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बोले, जरुरत पड़ी तो आज़म खान भेजे जाएंगे जेल