मराठा सम्राज्य का नाम आते ही सबसे पहला नाम आता है छत्रपति शिवाजी महाराज का. जिनकी शौर्यता की कहानियां आज भी लोगों को याद है लेकिन क्या आप उस महिला को जानते हैं, जिन्होंने पहले शिवाजी को अंगुलियां पकड़कर चलना सिखाया फिर उन्हें एक महान योद्धा बनाया. जी दरअसल हम बात कर रहे हैं उनकी माँ जीजाबाई की. जीजाबाई ने आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कहा था. जी हाँ, 17 जून 1674 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. ऐसे में कहा जाता है कि वह शिवाजी की सिर्फ माता ही नहीं बल्कि उनकी मित्र और मार्गदर्शक भी थीं. जी हाँ और उनका सारा जीवन साहस और त्याग से भरा रहा. जी दरअसल उन्होंने जीवन भर कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों का सामना किया, लेकिन धैर्य नहीं खोया और अपने ‘पुत्र ‘शिवाजी’ को समाज कल्याण के प्रति समर्पित रहने की सीख दी. बहुत कम लोग जानते हैं कि जीजाबाई का जन्म 12 जनवरी 1598 में बुलढाणा के जिले सिंदखेद के निकट ‘लखुजी जाधव’ की बेटी के रूप हुआ. वहीं उनकी मां का नाम महालसाबाई था और वह बहुत कम उम्र की थीं, जब उनका विवाह ‘शहाजी भोसले’ के साथ कर दिया गया. कहते हैं जिस समय जीजाबाई की शहाजी के साथ शादी हुई, उस समय वह आदिल शाही सुल्तान की सेना में सैन्य कमांडर हुआ करते थे. वहीं अपनी शादी के बाद जीजाबाई आठ बच्चों की मां बनीं, जिनमें से 6 बेटियां और 2 बेटे थे. उन्ही में शामिल थे शिवाजी महाराज. वैसे तो जीजीबाई देखने में बहुत सुंदर थीं और इसी के साथ ही वह बुद्धिमान भी. लेकिन इन सभी के बावजूद कहा जाता है कि शिवाजी के जन्म लेते ही उनके पति ने उन्हें त्याग दिया था. जी दरअसल वह अपनी दूसरी पत्नी तुकाबाई पर ज्यादा मोहित थे, जिस कारण जीजाबाई को उन्होंने छोड़ दिया. कहते हैं एक माता और पत्नी के अलावा उनके अंदर और भी तमाम गुण थे. जी दरअसल वह खुद एक सक्षम योद्धा और प्रशासक के रूप में जानी जाती थीं. इसी कारण शौर्यता उनके रगों में भरी हुई थी. वहीं वह शिवाजी को हमेशा वीरता के किस्से सुनाकर उन्हें प्रेरित करती रहती थीं और जब भी शिवाजी मुश्किल में आते, जीजाबाई उनकी मदद में खड़ी नज़र आती. उस समय पिता के बिना शिवाजी को बड़ा करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी, जिसको उन्होंने बखूबी निभाया और शिवाजी को उन्होंने ही एक महान योद्धा बनाया. कुछ समय बाद जीजाबाई को उनके दूसरे बेटे और शिवाजी के भाई संभाजी महाराज के वीरगति को प्राप्त होने की खबर मिली. उस समय वह खुद को संभाल नहीं पाई. वहीं उन्हें पति की मृत्यु का समाचार मिल ही चुका था. ऐसे में इन घटनाओं ने जीजाबाई को पूरी तरह तोड़ दिया और वह ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह सकीं. उनकी मृत्यु 17 जून 1674 में शिवाजी के राज्याभिषेक के बाद हो गई. लॉकडाउन खुला तो बढ़ी मुसीबत, कांटैक्ट ट्रेसिंग बनी सबसे बड़ी चुनौती कोरोना काल में दीपिका चिखलिया ने की लोगो से धैर्य रखने की अपील सूर्य ग्रहण लगते ही होगा कोरोना का विनाश, इस वैज्ञानिक ने किया दावा