भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को बोला कि गवर्नमेंट को किसान आंदोलन के साथ उस तरह का बर्ताव नहीं करना चाहिए, जैसा कि बीते वर्ष दिल्ली के शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन के बीच किया गया था। टिकैत ने कहा कि प्रदर्शनकारी घर तभी वापस आने वाले है, जब नए कृषि कानून वापस ले लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आंदोलनरत कृषक, कोरोना के सभी नियमों का पालन करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर 2023 तक आंदोलन जारी रहने वाला है। टिकैत ने हरियाणा के यमुनानगर में संवाददाताओं से बोला कि केंद्र के नये कृषि कानूनों से किसानों को केवल हानि ही होगी। राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि सरकार पर्वतीय क्षेत्र के कृषकों को जानवरों द्वारा नष्ट की गई फसलों का मुआवजा प्रदान करना होगा। टिकैत ने यह भी बोला कि कृषक को किसानों के उत्पादन को उनके खेतों से थोक बाजारों तक ले जाने के प्रबंध भी करने होंगे। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में पांवटा साहिब के पास हरिपुर टोहाना गांव में किसानों की महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने बोला, ''गवर्नमेंट जब बात करना चाहेगी, हम उससे बात कर सकते, लेकिन हम आंदोलन के लिए भी तैयार हैं। आंदोलन का पहला चरण नवंबर-दिसंबर तक चलेगा और उसके उपरांत यदि जरूरी हुआ तो इसे तेज कर दिया जाएगा।'' ‘किसान आंदोलन में सभी दिशा-निर्देशों का होगा पालन’: जंहा इस बारें में उन्होंने बोला कि दिल्ली की CMO पर चल रहे किसान आंदोलन में सभी दिशा-निर्देशों का पालन भी करने वाले है, क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण के केस बढ़ रहे हैं। टिकैत ने बोला कि हालांकि कर्फ्यू या लॉकडाउन के बावजूद आंदोलन जारी रहने वाला है, इसे समाप्त नहीं किया जाएगा। टिकैत ने बुधवार को बोला कि तीन नए कृषि कानूनों के विरुद्ध आंदोलन कर रहे किसानों को गवर्नमेंट कमजोर नहीं समझे और यह आंदोलन अब धीरे-धीरे पूरे देश में बढ़ता जा रहा है। टिकैत ने पत्रकारों से बोला कि जब तक तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। 5 दिवसीय बांग्लादेश दौरे पर रवाना हुए सेनाध्यक्ष नरवणे, इन मुद्दों पर करेंगे चर्चा सलमान खान के फैंस को लगेगा बड़ा झटका, अगर जारी रहा लॉकडाउन तो अगले साल रिलीज होगी ‘राधे’ छत्तीसगढ़ के बाद अब बिहार के इस क्षेत्र में नक्सली हमले की बड़ी प्लानिंग, पुलिस ने ध्वस्त किए मंसूबे