दिल्ली: आज सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुनवाई की गई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई 2018 को करने की तारीख मुकर्रर की है. दलील में मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि मस्जिद में नवाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग है. वही यूपी सरकार का मुस्लिम पक्ष पर ये आरोप है कि सन् 1994 के जिस फैसले का हवाला दिया जा रहा है उसके वैधता पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया गया. यूपी सरकार का कहना है कि इस मामले को न ही निचली अदालत और न ही हाई कोर्ट में कभी उठाया गया. एक या दो नहीं बल्कि पूरे 8 सालों से मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित पड़ा है. मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने तीन जजों की खंडपीठ के समक्ष कहा कि मस्जिद मजाक के लिए नहीं बल्कि वहां मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा के लिए एकत्रित होते हैं. इस मुद्दे पर हिंदू पक्ष के लोगों ने दलील रखते हुए कहा कि वह मुद्दा जमीन अधिग्रहण से जुड़ा था और मौजूदा मामला टाइटल विवाद है. इस मामले का विरोध करते हुए हिंदू पक्ष का कहना था कि उस मामले का इस मामले से कोई संबंध नहीं है. चुनाव से ठीक पहले ये मामला फिर गरमा रहा है. देश की सियासत में राम मंदिर मुद्दे के महत्त्व को हर कोई जानता है. ऐसे में बीजेपी ने फिर एक बार मंदिर मुद्दा गरमा दिया है. राम मंदिर-बाबरी मस्ज़िद विवाद पर सुनवाई आज स्वामी ने याद दिलवाया रामलला की पूजा का हक़ राम मंदिर: इकबाल अंसारी ने मोदी-योगी के काम को सराहा