प्रभास (Prabhas), कृति सेनॉन (Kriti Sanon) और सैफ अली खान (Saif Ali Khan) स्टारर फिल्म 'आदिपुरुष' (Adipurush) बॉक्स ऑफिस पर 16 जून को रिलीज की जा चुकी है। लेकिन रिलीज होते ही मूवी को लेकर बड़ा विवाद शुरू होने लग गया है। दरअसल 'आदिपुरुष' में किरदारों के लुक से लेकर उनके डायलॉग्स और ग्राफिक्स को लेकर भी दर्शकों का गुस्सा भी देखने के लिए मिला है। फिल्म में डायलॉग मनोज मुंतशिर ने लिखे हैं। उन्हें ट्रोल किया जाने लगा। वही इस बीच अब रामानंद सागर की 'रामायण' में राम का किरदार अदा करने वाले अभिनेता अरुण गोविल ने इस बारे में अपना पक्ष रखा। एक इंटरव्यू के चलते अरुण गोविल से पूछा गया कि फिल्म 'आदिपुरुष' को लेकर जो भारत के साथ-साथ नेपाल में विरोध हो रहा है उसे एक्टर किस तरह देखते हैं? अरुण गोविल ने कहा, 'बीते कई दिनों से आदिपुरुष को लेकर काफी कुछ बोला गया है, बहुत कुछ सुना गया है। हालांकि मुझे ऐसा लगता है कि थोड़ा ये मामला अधिक खिंच गया है। आदिपुरुष को यदि आप सिर्फ एक फिल्म के तौर पर देखें, यदि आप इसको ये ना कहें कि ये रामायण पर आधारित है। यदि हम ये ना कहें कि प्रभु श्री राम पर ये फिल्म बनी है, फिल्म के तौर पर यदि ये कोई और किरदार होते तो मुझे लगता है कि ये फिल्म ठीक थी। इसमें कोई परेशानी नहीं थी। अच्छी बनी है ये फिल्म। लेकिन सवाल ये नहीं है। 'सवाल ये है कि 'रामायण' को इस लाइट में दिखाना। वो चरित्र जिन्हें हम भगवान मानते हैं, भगवान की भांति पूजते हैं जो हमारे दिल में बसे हैं। जो हमारे सांस्कृतिक धरोहर हैं, जो हमारी मौलिकता हैं, जो हमारी आस्था हैं। उनके साथ जो क्रिएटिव लिब्रिटी ली गई है वो सभी को, अधिकतर व्यक्तियों को अच्छी नहीं लगी। मुझे ये पसंद नहीं आया। मैं कन्सेर्वटिव हूं इस मामले में मुझे ये बोलने में कोई परहेज नहीं है। मेरे मन में भगवान का जो स्वरूप है, उसी में मैं अपने सामने उन्हें देखना चाहता हूं। तो जो आधुनिकता के नाम पर और पौराणिकता।।। भगवान ना तो पौराणिक हैं नया आधुनिक हैं। भगवान आदि हैं अनंत हैं। आज यदि हम माता-पिता की पूजा करते हैं, यदि कोई उनकी शक्ल को अलग पेंट करके प्रेजेंट करे तो क्या हमें अच्छा लगेगा। नहीं अच्छा लगेगा।' अरुण गोविल से पूछा गया कि जिस प्रकार के संवाद इस फिल्म में दिखाए गए हैं। जिस प्रकार की भाषा का उपयोग किया गया है। उसका जबरदस्त विरोध हो रहा है। जब अरुण ने राम का किरदार निभाया था तो दर्शकों के मन में सम्मान आता था, जो दशकों पश्चात् आज भी कायम है। लेकिन 'आदिपुरुष' के जो संवाद हैं उन्हें देखकर संवेदनहीनता तो नहीं लगती? जवाब में अरुण गोविल ने कहा, 'हां, मैंने फिल्म देखी तो नहीं है, किन्तु मैनें सुना है कि फिल्म में चार-पांच-छह लाइन ऐसी हैं, जो इस तरह से लिखी गई हैं। मैं अपनी तरफ से बोलता हूं कि मैं बहुत मर्यादा में रहता हूं। मैं इस तरह की भाषा का उपयोग नहीं करता। दूसरा ये है कि किरदार जो होते है, यदि नॉर्मल ये फिल्म हो, जिसमें नॉर्मल किरदार हों तो इस प्रकार के संवादों से कोई प्रॉब्लम नहीं है। इससे भी खराब संवाद आजकल फिल्मों में आते हैं। गालियां भी देते हैं फिल्मों में तो। मगर ये जो किरदार हैं... जिनकी हम पूजा करते हैं उनके मुंह से ऐसी बात कहवाना अच्छा नहीं लगता।' 'आदिपुरुष' पर अब अयोध्या में मचा हंगामा, बंद कराए शो रश्मिका मंदाना के साथ हुआ 80 लाख का घोटाला, जानिए पूरा मामला 'हिंदुत्व को नौटंकी और तमाशा बना दिया', 'आदिपुरुष' के डायलॉग्स पर फूटा संजय राउत का गुस्सा