इस्लाम धर्म का सबसे महत्वपूर्ण महीना यानी की रमज़ान शुरू हो चूका है. रमज़ान के महीने में मुस्लिम धर्म के पुरुष और स्त्री रोज़ा रखकर गरीबों की भूख और उनके दर्द को महसूस करते है. ये इबादत का महीना होता है. इस महीने में सभी के दुःख-दर्द को दूर करने के लिए इबादत की जाती है. रमज़ान में रोज़ा रखकर कुरान शरीफ पढ़ी जाती है और अपने सभी गुनाहो की माफ़ी मांगकर रब को राज़ी करते है. ऐसा भी कहा जाता है कि रमज़ान का महीना बरकत और रहमत का महीना होता है. जो भी लोग इस्लाम मजहब को मानते है उन्हें इस महीने में रोज़ा रखना बहुत जरुरी होता है. रोज़ा रखकर इस्लाम धर्म के लोग अपने रब को राज़ी करते है ताकि वो अपने रब के हुकमों को पूरा कर सके. रमज़ान के इस पवित्र महीने में इंसानों को अपनी इच्छाओं पर काबू रखना होता है. गरीब, बेसहारा लोग, विधवा महिलाए, यतीमों, मिस्कीनों का इस पवित्र महीने में खासतौर से ख्याल रखना चाहिए. ऐसा इसलिए ताकि ये बेसहारा लोग भी इस महीने में रोज़े के मकसद को हासिल कर सके. रमज़ान का असल मकसद सिर्फ रोज़ा रखना ही नहीं होता है बल्कि इस महीने में हर तरह कि बुराइयों से बचना भी होता है. ये महीना इस्लाम धर्म का सबसे खास और पवित्र महीना माना जाता है. रमजान के पवित्र में महीने में रोज़ा रखने के लिए नियत का होना सबसे ज्यादा जरुरी होता है. बिना नियत के तो कोई भी रोज़ा अधूरा या ना के बराबर ही होता है. रोज़ा के इस पवित्र महीने में अल्लाह ने कुरान शरीफ को नाज़िल किया था. जानिए कहाँ कितने घंटों का होता है रोज़ा ? RAMZAN 2018 - नॉर्वे में क्यों रखा जाता है ज्यादा समय का रोज़ा