जानिए रमज़ान में ही क्यों रखें जाते हैं 30 दिन के रोजे

मुस्लिम धर्म के कई कठोर नियम होते है. इस्लाम धर्म में रोज़े का बहुत महत्त्व होता है. ऐसे में आप जानते ही  हैं कि रोजा रमज़ान के महीने में ही रखा जाता है और इस माह के खास महत्व भी होते हैं. अल्लाह के प्रति गहरी आस्था रखने के रूप में रोज़े रखे जाते है. इस्लाम धर्म में नए चांद के साथ अगले 30 दिनों तक नए चांद के साथ ही रोज़े खत्‍म होते हैं. रमजान के दौरान कई प्रकार के व्यसनों से भी दुरी रखी जाती है. लेकिन ये रोजे रमज़ान में ही क्यों रखें जाते हैं इसके बारे में भी जान लें. 

क्यों रखे जाते है रोजे:  कुरान के अनुसार, अल्‍लाह ने अपने दूत के रूप में पैगम्‍बर साहब को चुना तथा रमज़ान के दौरान ही उनको कुरान के बारे में पता चला था. रमज़ान के आखिरी 10 दिनों का सबसे ज्‍यादा महत्‍व होता हैं क्‍योंकि इन्‍हीं दिनों में कुरान पूरी हुई थी. रोजे के साथ कुरआन पढ़ी जाती है जिसके अपने अलग ही नियम हैं. 

मान्यता:  असल में जब पैगम्‍बर मोहम्मद को ज्ञान प्राप्त हुआ तो वह एक संत के रूप में पैदा हुए थे पर तब भीषण हिंसा का दौर चल रहा था. उनके अपनों ने ही उनका अनादर किया था और इन सबसे निराश होकर पैगम्‍बर मोहम्‍मद ने एकांत में रखने के लिये जंगल में चले गए.

वहीं माउंट हिजरा में उन्‍होने दिन और रात बिताई और अल्‍लाह का सच्‍चा ज्ञान प्राप्‍त किया. यहीं से उन्हें ज्ञान मिला और इस धर्म के काम में आगे बढे. यही कारण है कि एक महीने के दौरान सभी लोग बुरी आदतों से दूर रहने का प्रयास करते हैं. यही से रोज़ा में 30 दिनों तक रोज़ा रखने का चलन प्रारंभ हुआ.

सँयुक्त अरब की ग्रैंड मस्जिद में 30, 000 से अधिक रोजेदार खोलते हैं अपना रोजा

नेकियों से मालामाल कर दोजख के दरवाजे बंद करता रमज़ान माह

रमजान में बिकिनी पहनने पर ट्रोल हुई यह मुस्लिम एक्ट्रेस, ट्रोलर्स ने कहा- ''रमजान के रोजे...'

Related News