मुस्लिम समुदाय के लिए रमजान का महीना बहुत अहम है. हर साल रमजान के पवित्र महीना, जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना होता है, इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग व्रत या रोजा रखते हैं. यह तीव्र रोजा, जो सूर्योदय से शुरू होता है और सूर्यास्त पर समाप्त होता है, यह ‘इफ्तार’ से टूटता है जो सूर्यास्त के बाद होता है. रमजान उस समय को माना जाता है जब लोग अल्‍लाह के करीब आते हैं और इसका पालन करने के पीछे एक मुख्य कारण वंचितों और कम भाग्यशाली लोगों के कष्टों को याद करना है. रमजान के पवित्र महीने के दौरान मुसलमान गरीबों को भी दान देते हैं. लॉकडाउन में मजदूरों का पलायन जारी, सीकर से झालावाड़ पैदल जा रहे श्रमिक इस मामले को लेकर आइन्‍यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, एचएम नॉटिकल पंचांग कार्यालय ने कहा है कि गणना के अनुसार नया चंद्रमा 24 अप्रैल शुक्रवार तक दिखाई देगा. अगर 24 अप्रैल को रमजान का चांद दिखाई दिया तो 25 अप्रैल को पहला रोजा रखा जाएगा, नहीं तो 26 अप्रैल का पहला रोजा होगा. यह संस्‍था यूके के आधिकारिक खगोलीय डेटा देती है. चंद्र कैलेंडर के आधार पर ग्रेगोरियन कैलेंडर में इसकी स्थिति भिन्न होती है. लॉकडाउन: भूखे ना रहें गऱीब, इसलिए दो मुस्लिम भाइयों ने बेच दी अपनी जमीन आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मुसलमान रमजान के महीने यानी चांद की तारीख के अनुसार 29 या 30 दिन के रोजे रखते हैं. रमजान का चांद दिखाई देने के बाद सुबह को सूरज निकलने से पहले सहरी खाकर रोजा रखा जाता है, जबकि सूर्य ढलने के बाद इफ्तार होता है. जो लोग रोजा रखते हैं, वो सहरी और इफ्तार के बीच कुछ भी नहीं खा-पी सकते. अनोखा दान: क्या सच में आटे के पैकेट में से निकले 15-15 हज़ार ? मजदूरों को घर भेजने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाओ, रेल मंत्री को अजित पवार की चिट्ठीजानें चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे के जीवन से जुड़ी रोचक बातें