कब से शुरू हो रहा है रमजान का महीना? जानिए इसका महत्व

इस्लाम धर्म पर भरोसा रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को माह-ए-रमजान का बेसब्री से इंतजार रहता है। मुस्लिमों के लिए यह सबसे पाक यानी पवित्र महीना होता है। कहा जाता हैं कि रमजान के चलते की गई इबादत का अन्य माहों की तुलना में कई गुना फल प्राप्त होता है। इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने रमजान को मुस्लिम धर्म में अत्याधिक पवित्र माना गया है। आपको बता दें कि इस पवित्र महीने का आरम्भ चांद देखने के बाद से होता है। रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। रमजान के चलते मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। इसके साथ ही तरावीह की नमाज एवं कुरआन शरीफ पढ़ते हैं। रमजान के चलते रोजा रखना प्रत्येक मुसलमान के लिए फर्ज माना जाता हैं। रमजान में जकात की भी खास अहमियत होती है। जकात का अर्थ है अपनी कमाई का कुछ हिस्सा गरीब एवं जरूरतमंदों में बांटना। जकात इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक बताया गया है। रमजान में रोजा-नमाज एवं कुरआन की तिलावत के साथ जकात और फितरा देने की भी विशेष अहमियत है। 

रमजान में रोजा रखना प्रत्येक मुसलमान के लिए खुशी एवं सुकून का पल होता है। इस्लाम में बताया गया है कि रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं एवं सभी दुआएं कुबूल होती है। रोजे के चलते पूरे दिन बिना अन्न एवं जल के रहना पड़ता है। इतना ही नहीं रोजा रखने वाले को और भी कई बातों का ध्यान रखना पड़ा है। जैसे- रोजा में बुरा देखना, सुनना एवं बोलने से बचना चाहिए। इस बात का भी खास ध्यान रखना चाहिए कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाएं आहत न हो। रोजा सूरज ढलने के पश्चात् शाम के समय ही इफ्तार के दौरान खोला जाता है तथा फिर सहरी खा कर रोजा रखा जाता है। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहते हैं।

वही रमजान के अंतिम दिन ईद मनाई जाती है। मुस्लिमों का यह सबसे बड़ा पर्व होता है। इस दिन वे नए कपड़े पहनते हैं तथा ग्रुप में नमाज के लिए मस्जिद जाते हैं। वहीं महिलाएं घरों में कई प्रकार के पकवान बनाती हैं। एक-दूसरे के साथ सेवईयां बांटकर तथा गले मिलकर ईद मनाते हैं। इस वर्ष ईद 22 या 23 अप्रैल 2023 को मनाई जाएगी।

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