खुशिया नसीब हो जन्नत करीब हो तू चाहे जिसे वो तेरे करीब हो कुछ इस तरह हो करम अल्लाह का मक्का और मदीना की तुझे ज़ियारत नसीब हो!! चुपके से चांद की रोशनी छू जाए आपको धीरे से ये हवा कुछ कह जाए आपको दिल से जो चाहते हो मांग लो खुदा से हम दुआ करते है मिल जाए वो आपको!! हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुद से है क्या ज़रुरत थी तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की!! दुपट्टा क्या रख लिया सिर पर वो दुल्हन सी नज़र आने लगी उनकी तो अदा होगी अपनी जान जाने लगी!! हटा कर जुल्फें चेहरे से न छत पर शाम को जाना, कहीं कोई ईद न कर ले अभी रमजान बाकी है। रमजान मुबारक! गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है, सितारों ने आसमान से सलाम भेजा है, मुबारक हो आपको रमजान का महीना, ये पैगाम हमनें सिर्फ आपको भेजा है। रमजान मुबारक! रमजान की आमद है, रहमतें बरसाने वाला महीना है, आओ आज सब खताओं की माफी मांग लें, दर-इ-तौरबा खुला है इस महीने में। रमजान मुबारक! सदा हंसते रहो जैसे हंसते हैं फूल, दुनिया की सारे गम तुम्हें जाएं भूल, चारों तरफ फैले खुशियों का गीत, ऐसी उम्मीद का साथ यार तुम्हे… रमजान मुबारक! रमज़ान मुबारक शायरियां परियडस के दौरान मुस्लिम महिलाएं नहीं रख सकती रोज़ा आखिर क्यों होता है मुसलमानो के लिए रमज़ान ख़ास