शास्त्रों में कई बातें बताई गई है जो सभी को जाननी और पढ़नी चाहिए। जी हाँ और धर्म के साथ रामायण के मुख्य पात्रों के बारे में बात करें तो इनमे रावण खास है। इसी के साथ कुंभकरण भी जो अपनी नींद की वजह से काफी प्रसिद्ध था। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उसे परमपिता ब्रह्मा जी से श्राप में वर्ष के 6 माह सोने का श्राप मिला था। हालाँकि आज के समय में भी इसे इसकी नींद के लिए ही जाना चाहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं लंकापति रावण का भी एक ही नींद से जुड़ा किस्सा है? जी हां, और आज हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं। जी दरअसल धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इतने बडे़ राज्य का राजा रावण , ब्राह्मांड की समस्त सुंदरियों होने के बावजूद अकेला सोता था। जी हाँ और हमे यकीन है आपको इस पर यकीन नहीं होगा लेकिन यह सच है। जी दरअसल एक प्रचलित लोक कथा के अनुसार रावण अपने अधिकतर जीवन काल में अकेला ही सोया है। कहा जाता है रामायण काल में यानि त्रेता युग के दौरान जब पवनपुत्र हनुमान जी 100 योजन समुद्र पार करके लंका पहुंचे थे तब उनके मार्ग में कई राक्षस आए जिनका वध करके उन्होंने लंका में प्रवेश किया था। वहीं लंका पहुंचकर वे सबसे पहले रावण के कक्ष में पहुंचें, तो उन्होंने देखा वह अकेला ही अपने कक्ष में सो रहा था। इस दौरान उसके आस-पास कोई भी नहीं था। हनुमान जी को बड़ी हैरानी हुई कि आखिर इतना बड़ा राजा,जिसके आगे पीछे ब्राह्मांड की कई विश्व सुंदरियों घूमती है, वह अकेला सो रहा था। ये सब सोचते हुए जब हनुमान जी ने और गौर से देखा तो उन्हें ज्ञात हुआ कि असल में रावण खर्राटे लेता हुआ सो रहा था। कहते हैं इसी कारण से रावण अकेला सोता था। रावण की मृत्यु का सच - धार्मिक शास्त्रों में एक कथा वर्णित है जिसके अनुसार रावण भगवान शंकर का परम भक्त था। वे शिव शंभू को अपना आराध्य मानता था और उनकी बहुत कठिन तपस्या करता था। परंतु क्या आपको पता है कि रावण के आराध्य शिव शंकर के वाहन नंदी ने ही रावण को उसकी मृत्यु से जुड़ा श्राप दिया था। लोक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के बैल नंदी ने रावण को श्राप दिया था कि एक वानर ही उसके विनाश का कारण बनेगा। केवल यही नहीं बल्कि नंदी के श्राप से ही लंका दहन हुआ था। आप तो जानते ही होंगे रामायण में जब बजरंगबली लंका में माता सीता को श्री राम का संदेश आए थे तो उन्होंने रावण की लंका में आग लगा दी थी। होने जा रहा है शनि का राशि परिवर्तन, इन 4 राशिवालों को रहना होगा सावधान आज भूल से भी न करें चंद्रमा के दर्शन, हो जाए तो पढ़े यह मंत्र और कथा 19 अप्रैल को है संकष्टी चतुर्थी, उत्पन्न हो रहा है रिक्ता दोष