नई दिल्लीः मोदी सरकार के कई मंत्री विज्ञान को वेद और सनातन संस्कृति से जोड़ने में लगे रहते हैं। और यह अक्सर नये विवादों को जन्म दे देता है। एक केंद्रीय मंत्री का ताजा बयान भी अभी इसिलिए सुर्खीयों में है। केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आईआईटी छात्रों को संबोधित करते हुए एक बड़ा दावा कर दिया है। निशंक ने कहा है कि इसमें कोई शक नहीं कि राम सेतु इंजीनियरिंग का चमत्कार है। जिसे प्राचीन भारतीयों ने बनाया था। ताकि भारत और श्रीलंका को जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि हिमालय, जैसे नीलकंठ (शिवा) विकसित देशों से आई प्रदूषित हवा को अवशोषित कर भारत की रक्षा करता है। मानव संसाधन मंत्री आईआईटी खड़गपुर के कॉन्वोकेशन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने युवाओं को देश के अतीत पर अनुसंधान करने और उस ज्ञान को लोगों के भले के लिए इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया। निशंक ने इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) से फंड देेने की बात भी कही। कॉन्वोकेशन में छात्रों को संबोधित करते हुए पोखरियाल ने दावा किया कि, "क्या कोई असहमति है कि हमारे इंजीनियरों ने राम सेतु का निर्माण किया था? इसे बनाने के लिए कोई अमेरिका, ब्रिटेन या फिर जर्मनी से नहीं आया था।" उन्होंने बताया कि भारत सदियों से ज्ञान से लेकर विज्ञान तक का वैश्विक नेता रहा है। उन्होंने दावा किया कि दुनिया की पहली भाषा संस्कृत है। उन्होंने कहा, ‘जब हम पीछे देखते हैं तो याद करते हैं कि हमारे इंजीनियरों ने कैसे राम सेतु बनाया था और हमारे भावी इंजीनियरों को इस पर गहन अध्ययन करना चाहिए। गौरतलब है कि भारतीय पुराणों में उल्लेख है कि भगवान राम की वानर सेना ने समुद्र पार करके लंका जाने के लिए राम सेतु का निर्माण किया था। मंत्रीजी से जब इसके कोई ऐतिहासिक या वैज्ञानिक साक्ष्य होने का पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस पर अनुसंधान होना चाहिए। इस केंद्रीय मंत्री ने कहा, दोबारा बने भारत का नक्शा छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी को लगा बड़ा झटका योगी का गांधी परिवार पर हमला, कहा- एक परिवार उनकी बात कर रहा, जिन्हें तिरंगे से परहेज