दुनिया में ऐसे कई रहस्य हैं जो आज भी पहेली बने हुए हैं. कुछ ऐसी जगहें हैं जहां पर जाना किसी खतरे से कम नहीं होता. हमारे देश में भी कुछ ऐसी जगह हैं. आज हम भी आपको देश के एक ऐसे ही अनोखे किले के बारे में बताने जा रहें हैं जो रहस्य बना हुआ हैं. हम बात कर रहे हैं 200 साल पुराने किले की जो कि रांची से 18 किलोमीटर की दूरी पर पिठौरिया गांव में स्थित हैं. 100 कमरों वाला यह किला अब खंडहर में तब्दील हो चुका हैं. इस खंडहर के बारे में आपको बता दें कि हर साल इस किले पर बिजली गिरती हैं. इसी कारण इस किले की हालत और भी ख़राब हो गई है. लेकिन यह आज भी एक रहस्य हैं कि आखिर क्यों इसी किले पर हर साल बिजली गिरती हैं. आपको बता दें, इस किले को राजा जगतपाल सिंह के किले के नाम से जाना जाता है. गांव वालों के अनुसार, इस किले पर हर साल बिजली एक क्रांतिकारी द्वारा राजा जगतपाल सिंह को दिए गए श्राप के कारण गिरती है. इसे लोग प्राकृतिक गह्तना नहीं मानते बल्कि एक श्राप मानते हैं. इस किले के राजा जगतपाल सिंह अपनी प्रजा में काफी लोकप्रिय थे और उन्हें एक अच्छा राजा माना जाता था, लेकिन उनके द्वारा की गई कुछ गलतियों के कारण उनका नाम इतिहास में एक गद्दार के रूप में भी दर्ज है. कहा जाता है कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में राजा जगतपाल सिंह ने अंग्रजों की मदद की थी. वो क्रांतिकारियों से जुड़ी हर खबर अंग्रेजों तक पहुंचाते थे. कहते हैं कि एक क्रांतिकारी विश्वनाथ शाहदेव ने उनसे नाराज होकर उन पर हमला बोल दिया था, जिसके बाद राजा ने उन्हें पेड़ पर फांसी पर लटका दिया था. लोगों का मानना है कि क्रांतिकारी विश्वनाथ शाहदेव ने ही अंग्रेजों का साथ देने और देश के साथ गद्दारी करने पर राजा जगतपाल सिंह को यह श्राप दिया था कि आनेवाले समय में जगतपाल सिंह का नामोनिशान नहीं रहेगा और उनके किले पर हर साल उस समय तक बिजली गिरती रहेगी, जब तक कि किला पूरी तरह बर्बाद नहीं हो जाता. इसी के कारण बिजली गिरती है. वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि इस किले पर बिजली इसलिए गिरती है, क्योंकि यहां मौजूद ऊंचे पेड़ और पहाड़ों में लौह-अयस्क की मात्रा बहुत ज्यादा है, जो आसमानी बिजली को अपनी तरफ आकर्षित करती है. लेकिन इस गाँव के लपोंग इस बात को नहीं मानते. ये मेंढक अपने लिए खुद का बनाता है तालाब, शोध में हुए नए खुलासे इस देश में तोलकर दिए जाते हैं रूपए, ये है कारण