अखिलेश के दो और करीबियों पर रेप केस, लंबी होती सपा के अपराधियों की लिस्ट..!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के एटा जिले में समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक रामेश्वर यादव और उनके भाई जुगेन्द्र यादव के खिलाफ एक और रेप का मामला दर्ज किया गया है। इन दोनों नेताओं पर पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और वे काफी समय से जेल में बंद हैं। ताजा मामला 9 साल बाद सामने आया, जब पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। 

पीड़िता का आरोप है कि वर्ष 2015 में, जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, रामेश्वर यादव और जुगेन्द्र यादव ने उसे नौकरी का झांसा देकर बुलाया और फिर फार्महाउस पर ले जाकर उसके साथ रेप किया। पीड़िता ने बताया कि उसे फार्महाउस पर पहले जुगेन्द्र यादव ने कमरे में बुलाया, फिर हाथ-पैर बांधकर उसका दुपट्टा इस्तेमाल करते हुए रेप किया। इसके बाद रामेश्वर यादव भी वहां आए और उन्होंने भी बलात्कार किया। घटना के बाद रामेश्वर के बेटे प्रमोद यादव और सुवोध यादव ने उसे धमकी दी और चुप रहने को कहा।

पीड़िता ने इस घटना के बाद 9 साल तक पुलिस के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटाई, क्योंकि रामेश्वर और जुगेन्द्र यादव का उस समय इलाके में काफी दबदबा था और उनके खिलाफ आवाज उठाने से लोग डरते थे। लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद पीड़िता को न्याय मिलने की उम्मीद जगी, जिसके चलते उसने यह मामला दर्ज कराया। रामेश्वर यादव, जो सपा के टिकट पर तीन बार एटा के अलीगंज सीट से विधायक रह चुके हैं, पहले से ही कई आपराधिक मामलों में फंसे हैं। उन्हें जून 2022 में आगरा से गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई की गई थी। वहीं, उनके भाई जुगेन्द्र यादव को मार्च 2023 में मथुरा से गिरफ्तार किया गया था। वर्तमान में दोनों भाई जेल में बंद हैं – रामेश्वर अलीगढ़ जेल में जबकि जुगेन्द्र एटा जेल में हैं। एटा प्रशासन ने अब तक इन दोनों भाइयों की 1.07 अरब रुपये की संपत्ति कुर्क की है। जुगेन्द्र यादव की पत्नी रेखा यादव एटा की मौजूदा जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।

सपा में कितने अपराधी ?

इस लोकसभा चुनाव में सपा की सीटें बढ़ने के साथ ही सपा नेताओं के अपराध भी बढ़ते नज़र आ रहे हैं। बीते 2 से 3 महीनों में कई सपा नेता बेहद संगीन अपराधों में गिरफ्तार हुए हैं। अयोध्या में सपा नेता मोईद खान और राजू खान को एक दलित नाबालिग लड़की का सामूहिक बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जांच में पता चला था कि, सपा नेता मोईद ने दलितों की जमीन हड़पने समेत कई अन्य अपराध भी किए हैं। मोईद खान, अयोध्या से सपा सांसद अवदेश प्रसाद का करीबी है। इसके बाद अखिलेश की ही संसदीय सीट कन्नौज से नवाब सिंह यादव को एक नाबालिग लड़की के बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। नवाब, अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव का प्रतिनिधि भी रह चुका है, सपा ने उसके बचाव में भी यही बात कही थी कि नवाब को फंसाने की कोशिश की गई है। जबकि DNA रिपोर्ट में नवाब का सैंपल रेप पीड़िता से मैच हो गया है कि वही बलात्कारी है। बाद में नवाब यादव का भाई और सपा नेता नीलू यादव भी गिरफ्तार हुआ, जो रेप पीड़िता को केस वापस लेने के लिए धमका रहा था।   

 

इसी महीने 6 सितंबर को यूपी पुलिस ने सपा कार्यकर्ता शाहबान को गिरफ्तार किया था, जिसने दलित नाबालिग का बलात्कार किया था और केस दर्ज होने के बाद पीड़ित परिवार को धमकाया भी था। एक हफ्ते पहले यूपी पुलिस ने सपा विधायक जाहिद बेग को पत्नी सहित गिरफ्तार किया है, जिसके घर से एक नाबालिग लड़की की लाश मिली थी, जो वहां काम करती थी। वहीं काम करने वाली दूसरी नाबालिग लड़की ने बताया था कि, उन्हें प्रताड़ित किया जाता है और बराबर पैसे भी नहीं दिए जाते। वहीं, सपा के पूर्व प्रदेश सचिव वीरेंदर बहादुर पाल पर भी इसी महीने बलात्कार के मामले में FIR दर्ज हुई है, जिसके बाद से वो फरार है। सपा नेता डॉ विजय शर्मा भी फरार है, जिसने मेडिकल की फर्जी डिग्रियां बेचकर कई छात्रों से करोड़ों की ठगी की है। ये मामला बरेली के खुसरो कॉलेज का है, जिसका अध्यक्ष शेर अली और उसका बेटा पुलिस की गिरफ्त में है। खुद अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद पर हाल ही में किडनेपिंग, मारपीट और धमकी का केस दर्ज हुआ है। इसके अलावा भी कुछ छोटे मोटे मामले हैं, जो मेनस्ट्रीम मीडिया में नहीं आए हैं, लोकल मीडिया में ही दबकर रह गए हैं। हालाँकि, हर मामले में सपा यही कह रही है कि हमें फंसाया गया है, साजिश हुई है, सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है। लेकिन, सपा की एक भी बात कोर्ट में साबित नहीं हुई है। लोकसभा चुनाव के बाद से सपा नेताओं द्वारा इतने अपराधों को अंजाम देना कई गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। क्या जनता ने उसे वोट देकर कोई भूल कर दी है ? इन तमाम मामलों पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की चुप्पी भी हैरान करने वाली है। अगर उनकी पार्टी के नेता निर्दोष हैं, तो अखिलेश खुद उनके समर्थन में कोर्ट जाएं और उन्हें छुड़ाकर लाएं, वरना ऐसे अपराधियों को पार्टी से बाहर निकालें।  

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