पटना: हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिवार से मिलने उनके गांव पहुंचे पूर्व सांसद और रालोद के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी पर पुलिस वालों ने जिस तरह लाठियां भांजी थी, उसे लेकर पश्चिम यूपी की राजनीति गर्म हो गई है. मुजफ्फरनगर में गुरुवार को लोकतंत्र बचाओ महापंचायत कर रालोद ने जाट समुदाय का स्वाभिमान जगाकर उन्हें एक बार पुनः एकजुट करने का दांव चला है. जयंत चौधरी के समर्थन में जिस तरह से कई पार्टियों के नेताओं के साथ-साथ हरियाणा, राजस्थान और पश्चिम यूपी के सभी जाट समुदाय के लोग खड़े दिखे हैं, उसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं? उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट समुदाय रालोद का साथ छोड़कर भाजपा के पक्ष में एकजुट हुआ तो चौधरी चरण सिंह की विरासत संभालने वाले चौधरी अजित सिंह और जयंत चौधरी भी अपनी कुर्सी नहीं बचा सके थे. एक के बाद एक चुनाव में मिली हार के बाद रालोद के सियासी वजूद पर ही सवाल उठने लगे हैं. वहीं, चौधरी अजित सिंह सियासी तौर पर तक़रीबन सेवानिवृत्त होने की कगार पर खड़े हैं, जिसके कारण पश्चिम यूपी में रालोद के खोए सियासी आधार को वापस लाने की जिम्मेदारी जयंत चौधरी के कंधों पर है. भले ही वो दो लोकसभा चुनाव हार गए हों, किन्तु चौधरी चरण सिंह के कारण आज जाट समुदाय का एक बड़ा वर्ग उन्हें अपना नेता मानता है. ऐसे में जयंत चौधरी अपनी पार्टी को पुनः खड़ा करने के लिए पश्चिम यूपी में जद्दोजहद कर रहे हैं. राहुल ने उड़ाया पीएम मोदी की बात का मजाक, भाजपा ने किया करारा पलटवार न्यू इंडोनेशियाई जॉब्स लॉ के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के तीसरे दिन भी जारी रहा विवाद अमेरिकी चुनाव करेंगे हमारे देश और व्यापार को प्रभावित: कनाडाई पीएम ट्रूडो