नवरात्रि का पर्व चल रहा है और इस पर्व के दौरान हम आपको बताने जा रहे हैं देवी कुमारी माता के बारे में। जी दरअसल बंगाल के हुगली में रत्नावली में माता सती का दायां कंधा गिरा था। जी हाँ और इस मंदिर में माता को देवी कुमारी नाम से पुकारा जाता है। कहा जाता है रत्नावली कुमारी शक्तिपीठ के भैरव शिव हैं और शक्ति कुमारी हैं। वहीँ देवी महात्म्य के अनुसार, जब देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे। तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगा रहे थे, इस दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को विभाजित कर दिया। तब माता सती के ‘दाएं कंधे’ का निपात इस स्थान पर हुआ था। इस शक्तिपीठ की शक्ति ‘कुमारी’ एवं भैरव ‘शिव’ के नाम से पूजे जाते हैं। जी हाँ और रत्नावली शक्ति पीठ में सभी सनातनी त्योहार बड़े धूमधाम से मनाये जाते है। हालाँकि नवरात्र के दौरान यहाँ पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से भक्त यहां पहुँचते हैं। यहाँ आने वाले अपनी हर मुराद को पूरी करने के लिए माँ को प्रसाद चढ़ाते हैं। यह मंदिर खानकुल बस स्टॉप से लगभग 4 किलोमीटर पर है और आरामबाग बस स्टॉप से 24 किलोमीटर पर है। वहीं आरामबाग रेलवे स्टेशन से 26 किमी एवं हावड़ा रेलवे स्टेशन से 62 किलोमीटर दूर स्थित है। नवरात्रि का दूसरा दिन: इस विधि से करने मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और ये लगाए भोग नवरात्रि का दूसरा दिन: 1000 साल तक माता ने खाए थे फल, 3000 साल तक सिर्फ बेलपत्र नवरात्रि स्पेशल: नोएडा की ऐसी माँ की कहानी जो नम कर देगी आँखें