रवीना टंडन की कमबैक फिल्म मातृ सेंसर बोर्ड के निशाने पर आ गई है. दरअसल सेंसर बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया है. सेंसर बोर्ड को फिल्म में दिखाए गए बलात्कार के दृश्यों से आपत्ति है. इसी कारण बोर्ड द्वारा फिल्म को पूरा नहीं देखा गया. बोर्ड के सदस्य फिल्म की स्क्रीनिंग के बीच में से ही चले गए. अब जनाब यह तो रही फिल्म की बात जी हाँ, देश में बढ़ते रेप केसेज और उनसे कैसे निपटा जाए, इसको लेकर रवीना ने युवा लड़कों, लड़कियों और उनके पैरंट्स के नाम खुला पत्र लिखा है.... भारत में क्राइम का ग्राफ बीते दिनों काफी तेजी से बढ़ा है. एक मां होने के नाते यह मुझे बहुत डराता है. कभी-कभी तो अखबारों में क्राइम की खबरें पढ़कर और टीवी पर भयावह दृश्य देखने के बाद मेरा डर मुझे डराना शुरू कर देता है. एक मां होने के नाते सोच अलग होती है, बजाय कुछ और होने के. भारत में हर साल 34 हजार रेप केस दर्ज होते हैं, जो कि हकीकत में घटने वाली घटनाओं के मुकाबले महज बानगी भर हैं. मेरा खून खौल उठता है ऐसी खबरों को पढ़कर जिनमें युवा लड़कों, लड़कियों या उनके पेरेंट्स को नुकसान पहुंचाने की बातें लिखी होती हैं. मेरे प्यारे लड़को, मैं आपसे सिर्फ इतना ही कह सकती हूं कि रुक जाओ. महिला को आॅब्जेक्ट समझना बंद कर दो. उनको किसी साधन की तरह देखना बंद कर दो. मेरी प्यारी लड़कियो, समाज आपकी सुरक्षा कर पाने में असमर्थ हो तो आपके लिए अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद लेना जरूरी हो जाता है. अपने दुखों को आवाज देने की जरूरत है और उनके खिलाफ मजबूती से लड़ने की भी दरकार हैं. आप पर फब्तियां कसने से लेकर आपको बुरी तरह से छूने वालों को करारा जवाब देना होगा. अंत में मेरा आग्रह पैरंट्स से है. आपको अपनी बेटियों को सेल्फ डिफेंस सिखाने की जरूरत है. इतना ही नहीं, अपने बेटों को भी सुधारने के लिए कोशिश करनी चाहिए. जिस दिन यह हो जाएगा, हमारा देश महिलाओं के लिए सेफ हो जाएगा. भारत महिलाओं के लिए स्वर्ग हो सकता है अगर हर कोई महिला सुरक्षा के लिए मिलकर प्रयास करे. सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए मैं हर किसी से आग्रह कर रही हूं ताकि हमारा भविष्य पहले से ज्यादा सुरक्षित हो. आप भी अपने आसपास महिला असुरक्षा से जुड़ा मामला नहीं चाहते होंगे. ऐसा ही है न? तो आज से ही इसे ऐक्ट कीजिए. - एक घबराई हुई मां