10 साल की उम्र में किया था पंडित रविशंकर ने पहला कार्यक्रम, सितार वादक से पहले थे नर्तक

रवि शंकर जी का जन्म आज ही के दिन हुआ था. वह विश्व में भारतीय शास्त्रीय संगीत की उत्कृष्टता के सबसे बड़े उदघोषक थे. जी हाँ, उनका जन्म 7 अप्रैल 1920 में हुआ था, वहीं उनकी मृत्यु 11 दिसम्बर, 2012 में हुई. उन्हें एक सितार वादक के रूप में प्रसिद्धि मिली. वह इस सदी के सबसे महान् संगीतज्ञों में गिने जाते थे और रविशंकर को विदेशों में बहुत अधिक प्रसिद्धि प्राप्त हुई. पंडित रवि शंकर का आरंभिक जीवन काशी के पुनीत घाटों के पर ही बीता और उनका बचपन बहुत ही सुखद रहा. कहा जाता है उनके पिता प्रतिष्ठित बैरिस्टर थे और राजघराने में उच्च पद पर कार्यरत थे. वहीं रविशंकर जब केवल दस साल के ही थे तभी संगीत के प्रति उनका लगाव आरम्भ हो गया और बचपन में उन्होंने कला जगत् में प्रवेश एक नर्तक के रूप में किया.

उस दौरान उन्होंने अपने बड़े भाई उदय शंकर के साथ कई नृत्य कार्यक्रम किये. वह बनारस में रहते थे और संगीत से उनका कोई सीधा संबंध नहीं था. वहीं उस समय उनके दूसरे भाइयों की संगीत में पूरी रुचि थी, उस दौरान कोई बांसुरी बजाता था तो कोई सितार. कहा जाता है उनके बडे भाई पंडित उदय शंकर जी नृत्य करते थे और वही उन्हें उनके साथ पेरिस ले गए थे. उसी के बाद रवि शंकर में संगीत का शौक़ पैदा हुआ. पहले तो उन्होंने नृत्य सीखना शुरू किया, लेकिन उसके बाद उनकी रुचि संगीत में बढ़ने लगी. उन्होंने प्रसिद्ध संगीतकार और गुरु उस्ताद अलाउद्दीन ख़ां को अपना गुरु बनाया और उसी के बाद से उनकी संगीत यात्रा शुरू हो गई.

वह लंबे समय तक तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा ख़ाँ, किशन महाराज और सरोद वादक उस्ताद अली अकबर ख़ान के साथ जुड़े रहे और 18 साल की उम्र में उन्होंने नृत्य छोड़कर सितार सीखना शुरू किया. उनका पहला कार्यक्रम 10 साल की उम्र में हुआ था और भारत में पंडित रविशंकर ने पहला कार्यक्रम 1939 में दिया था. उन्होंने भारत, कनाडा, यूरोप तथा अमेरिका में बैले तथा फ़िल्मों के लिए भी संगीत कम्पोज किया. आप सभी को बता दें कि पंडित रविशंकर का 92 साल की उम्र में निधन हो गया.

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