रिजर्व बैंक कर्मचारी यूनियनों ने प्रस्तावित लोक ऋण प्रबंधन एजेंसी (पी.डी.एम.ए.) के खिलाफ सांसदों व राज्यों के वित्तमंत्रियों को पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया. बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के बजट में लोक ऋण प्रबंधन परिचालन को रिजर्व बैंक से अलग करने की घोषणा की थी. रिजर्व बैंक यूनियनों ने पत्र लिखने का समय पिछले सप्ताह ऐसे समय चुना जब भारतीय रिजर्व बैंक के नए गर्वनर उर्जित पटेल अगले महीने कार्यभार संभालने जा रहे हैं. पत्र के अनुसार यह कदम सरकार को बहुत महंगा पड़ेगा. यह पत्र पिछले सप्ताह लिखा गया था. पत्र में उल्लेखित किया गया है कि केंद्रीय बैंक द्वारा सरकारी प्रभिूतियों को किसी विकासशील अर्थव्यवस्था में रखना हमेशा ही फायदेमंद रहा है. इस संदर्भ में लोक ऋण प्रबंधन को रिजर्व बैंक से अलग करना प्रासंगिक नहीं है. स्मरण रहे कि यह पत्र आल इंडिया रिजर्व बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन, आल इंडिया रिजर्व बैंक वर्कर्स फेडरेशन, आल इंडिया रिजर्व बैंक आफिसर्स एसोसिएशन व रिजर्व बैंक आफ इंडिया आफिसर्स एसोसिएशन ने लिखकर सभी राजनीतिक दलों के सांसदों व राज्यों के वित्त मंत्रियों को भेजा है.