नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुख्य मुद्रास्फीति (हेडलाइन इन्फ्लेशन) के बेहतर रहने का अनुमान लगाते हुए एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस वित्त वर्ष के बाकी बचे महीनों के दौरान रेपो रेट को जस का तस रख सकती है. रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई द्वारा बैंकों को ऋण दिया जा रहा है. नेशनल हेराल्ड मामला: सोनिया-राहुल को राहत नहीं, चार दिसंबर को होगी अंतिम सुनवाई सोमवार को जारी हुए महंगाई के आंकड़ों में कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स (सीपीआई) आधारित महंगाई दर अक्टूबर में इस साल के निचले स्तर के साथ 3.31 फीसद पर रही है जो कि इसी साल सितंबर महीने में 3.7 फीसद तक पहुँच गई थी. खुदरा महंगाई सितंबर 2017 के बाद का सबसे निचला स्तर है जब यह 3.28 फीसद पर थी. कोटक इकोनॉमिक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, "मौद्रिक नीति समिति का मुख्य फोकस सीपीआई मुद्रास्फीति पर रहता है जिसे इस वित्त वर्ष के बाकी बचे दिनों में अच्छे रहने की संभावना है. सॉफ्टबैंक कॉर्प लाएगा अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ इस रिपोर्ट में मुख्य मुद्रास्फीति के 2.8 से 4.3 फीसद के बीच में रहने का अंदाजा लगाया गया है, यहां इस बात पर ध्यान दिया जा सकता है कि केंद्रीय बैंक ने अपनी अक्टूबर की पॉलिसी बैठक में ब्याज दरों को यथावत रखा था, इसके पहले इसने दो बार नीतिगत दरों में 0.25 फीसद की वृद्धि की थी. वर्तमान में रेपो रेट 6.5 फीसद है. आपको बता दें कि रेपो रेट को लेकर आरबीआई की अगली बैठक 4 और 5 दिसंबर 2018 को होनी है, वहीं वित्तीय वर्ष की आखिरी बैठक 5 व् 6 फरवरी को की जाएगी, जिसमे आरबीआई कुछ अहम् फैसले ले सकती है. खबरें और भी:- सोमवार को गिरावट के बाद आज संभला बाजार, मिडकैप और स्मॉलकैप में दिखी रिकवरी अब चमकेगा दिल्ली-मेरठ स्टेट हाईवे, प्रशासन ने मरम्मत के लिए मंजूर किए 40 करोड़ रुपए भारतीय रेलवे 14 नवंबर से शुरू करेगा रामायण एक्सप्रेस