जानिये अस्थि विसर्जन का वैज्ञानिक और पौराणिक कारण

हमारे हिंदुस्तान में हिन्दू धर्म में ये मान्यता है कि किसी की भी मृत्यु पर उसकी अस्थियां गंगा में विसर्जित की जाती है। यही बरसों से चला आ रहा है और आज तक ये प्रथा ज़ारी भी है। हम ये जानते हैं कि मरने वाले की अस्थियां गंगा में विसर्जित करने से उसे मुक्ति मिलती है जिससे उसकी आत्मा भटकती नही है। तो चलिए आपको बताते हैं इससे जुडी और बातें। जो शायद ही आप जानते होंगे।

पुराणों के अनुसार ऐसा करने से ये अस्थियां सीधे श्री हरी के बैकुंठ धाम में पहुँचती हैं। इन्हें फूल भी कहा जाता है। आपको बता दे,हिन्दू धर्म के अलावा सिख धर्म में भी अस्थियां विसर्जित की जाती है। लेकिन गंगा में नही करते। ऐसा ज़रूरी भी नही कि अस्थियां गंगा में ही विसर्जित हो। किसी भी पवित्र नदी में किया जा सकता है।

इसके पीछे वैज्ञानिक ये कारण है कि ये परंपरा इसलिए है क्योंकि अस्थियों में फॉस्फोरस अधिक मात्रा में होता हैं। यह फॉस्फोरस भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखता है। उनके अनुसार हड्डियों में सल्फर पाया जाता है जो पारे के साथ मिलकर पारद का निर्माण होता है। इसके साथ यह दोनों मिलकर मरकरी सल्फाइड साल्ट का निर्माण करते हैं। हड्डियों में बचा शेष कैल्शियम, पानी को स्वच्छ रखने का काम करता है।

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