नई दिल्लीः खराब आर्थिक हालत के कारण देश में रोजगार का संकट बढ़ता जा रहा है। इस बेरोजगारी का असर यह हुआ कि लोग बैंक से लिए लोन को नहीां चुका पा रहे हैं। बेरोजगारी बढ़ने के बाद लोग अब अपने लोन की किश्त को भी नहीं चुका रहे हैं, जिसका असर आगे चलकर देखने को मिल सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों से अक्सर लोग होम, ऑटो, शिक्षा और पर्सनल लोन लेते हैं। इसके अलावा आजकल बहुत सारे व्यक्ति क्रेडिट कार्ड भी रखते हैं। ऐसे में किश्त की अदायगी नहीं होने के कारण बैंकों को रिटेल लोन एनपीए बढ़ने की उम्मीद है। भारतीय स्टेट बैंक का रिटेल लोन एनपीए जून में 4.8 फीसदी था, जो कि जुलाई में बढ़कर के 5.3 फीसदी हो गया है। इससे बैंक आगे भी लोगों के लोन को प्रोसेस करने में देरी कर रहे हैं। फिच रेटिंग्स के अनुसार रिटेल लोन किश्त की न आदाएगी से बैंकों पर दबाव देखने को मिलेगा। मंदी के कारण कई सेक्टर से लोगों को निकाला जा रहा है। जिन लोगों ने नौकरी के दौरान बैंकों से किसी भी तरह का लोन ले रखा था, उसको चुकाने के लिए उनके पास पैसे नहीं है। ऐसे में रिटेल लोन की भरपाई न होने से बैंकों व वित्तीय कंपनियों की बैलेंस शीट पर भी असर पड़ने की संभावना है।लोगों के पास जरूरतें पूरी करने लायक पैसा बचा हुआ है। ऑटो, रियल एस्टेट, एफएमसीजी जैसे प्रमुख सेक्टरों में नौकरी कर रहे ज्यादातर लोग अब जैसे-तैसे खर्चा चला रहे हैं। वो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसा उधार ले रहे हैं, ताकि बच्चों की फीस, घर का किराया और अन्य मुख्य जरूरतों को पूरा किया जा सके। अमेरिका और चीन में चल रहे ट्रेड वार से भारत को हो सकता है फायदे , जानें कैसे मंदी की मार से हीरा उद्योग हलकान, 60 हजार लोगों ने गंवाई नौकरी एयर इंडिया ने लगाया प्लास्टिक पर बैन, दो अक्तूबर से नियम लागू