कोरोना के पश्चात पंजाब को वित्तीय संकट से राज्य की स्थिति को उभारने के लिए वर्तमान सरकार जुटी हुई है. इस परिस्थिति से निपटने के लिए आर्थिक विशेषज्ञ मोंटेक सिंह आहलुवालिया के नेतृत्व में गठित समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट राज्य सरकार के समक्ष रखी है. इसमें मुलाजिमों का वेतन न बढ़ाने और बकाया डीए-एरियर न देने की सलाह दी है. 74 पन्ने की इस अंतरिम रिपोर्ट में आहलुवालिया ने पंजाब सरकार को ऐसे-ऐसे उपाय सुझाए हैं, जिनमें से ज्यादातर केंद्र की नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट की नीतियों से मेल खाते हैं. स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले मिग-21 पर सवार हुए एयरफोर्स चीफ, लिया तैयारियों का जायज़ा बता दे कि इन नीतियों का कैप्टन अमरिंदर सिंह लंबे वक्त से खुलकर विरोध करते रहे हैं. समिति ने केंद्रीय गवर्नमेंट द्वारा लाए गए कृषि अध्यादेश और बिजली संशोधन बिल-2020 की खुली वकालत करते हुए, इन्हें पंजाब में लागू करने का राय दी है. पंजाब गवर्नमेंट पहले ही इसे किसान विरोधी करार देते हुए, इन्हें किसी भी हालत में लागू नहीं होने देने की घोषणा कर चुकी है. दिल्ली के हालत पर बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर कसा तंज विदित हो कि किसानों के लिए खुली मंडी, बड़े जिलों में निजी विघुत सप्लाई, किसानों को दी जा रही बिजली सब्सिडी को खत्म करने, सरकारी मुलाजिमों को केंद्रीय गवर्नमेंट के वेतनमान देने और मंदिरा पर और टैक्स बढ़ाने के सुझाव दिए गए हैं. समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा है कि वित्त विभाग ने मौजूदा वर्ष के दौरान राज्य के बजटीय राजस्व में लगभग 25 प्रतिशत की कमी का अनुमान लगाया है. उन्होंने खर्च पर काबू के उपाय सुझाते हुए, जहां फ्री बिजली और सब्सिडी पर अंकुश की राय दी है. सुप्रीम कोर्ट अवमानना केस में प्रशांत भूषण दोषी करार, 20 अगस्त को सुनाई जाएगी सजा केरल में बढ़ा कोरोना का आतंक, एक दिन में मिले सबसे ज्यादा संक्रमित कर्नाटक के बाद मेरठ में उठी उन्मादी आवाज, नवीन का सिर काटने पर रखा 51 लाख रुपए का इनाम