नई दिल्ली. झोलाछाप डॉक्टरों की की संख्या बढ़ती जा रही है. बिना डिग्री के ये लोग मरीजों का इलाज कर रहे हैं, जिस ओर न तो स्थानीय प्रशासन का कोई ध्यान है और न ही स्वास्थ्य विभाग का. पहली बार 300 से ज्यादा डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें से 65 से ज्यादा डॉक्टरों को झोलाछाप घोषित करते हुए उनके क्लीनिक को सील कर दिया गया है, जबकि दिल्ली मेडिकल काउंसिल की ओर से 60 से ज्यादा झोलाछाप डॉक्टरों पर मुकदमा भी दर्ज कराया गया है. दिल्ली में तकरीबन 70 हजार डॉक्टर गली-कूचों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं, जबकि लाइसेंस वाले महज 20 हजार ही डॉक्टर हैं. इनके पास दिल्ली मेडिकल काउंसिल व दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन का बाकायदा रजिस्ट्रेशन भी है, लेकिन झोलाछाप डॉक्टरों पर कोई लाइसेंस नहीं है. झोलाछाप बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम, बदन दर्द जैसी शुरुआती बीमारियों में गोलियां देकर मरीज को चपत लगा रहे हैं. झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) ने पिछले महीने ही बड़े स्तर पर एक अभियान चलाया था, जिसमें दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में डीएमसी के अधिकारियों ने न सिर्फ अनैतिक चिकित्सा को लेकर जागरूकता लाने का काम किया, लोगों की शिकायतों पर संज्ञान लेना भी शुरू किया. इसी का परिणाम है कि वर्ष 2010 से लेकर अब तक सबसे ज्यादा शिकायतें इसी साल में सामने आई हैं. इन झोला छाप डॉक्टरों को फर्क नहीं पड़ता की नकली इलाज का मरीजों पर क्या असर पड़ेगा. राजधानी में अभी भी बंगाली इलाज के कई मामले सामने आ रहे है. यहाँ के बहरी इलाको में फर्जी बंगाली डॉक्टरों का रैकेट चल रहा है. इतना ही नहीं यहाँ फर्जी डिग्री वाले बोर्ड लगा कर इलाज किया जा रहा है. छोटी बीमारियों के लिए मरीज हॉस्पिटल ना जाकर इन डॉक्टरों से ही इलाज करते है. कुलभूषण जाधव की माँ और पत्नी को मिला वीजा येरूशलम मुद्दे पर ट्रंप ने दी आर्थिक मदद न करने की धमकी रिजर्व बैंक दो हजार के नए नोट जारी नहीं कर रहा : एसबीआई