भगवान श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान जितना किया जाए उतना कम है. श्री कृष्ण ने धरती पर रहते हुए इस दुनिया को जीने का सलीका बताया. द्वापरयुग में भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को ही जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं. श्री कृष्ण को आज पूरी दुनिया पूजती है. श्री कृष्ण के साथ-साथ गौ माता का भी लोग बहुत आदर करते हैं और उनका भी पूजन किया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं आज श्री कृष्ण और गौ माता के रिश्ते के बारे में... आप गोपाष्टमी के त्यौहार से श्री कृष्ण और गौ माता के रिश्ते के बारे में जान सकते हैं. बताया जाता है कि गोपाष्टमी के दिन ही पहली बार श्री कृष्ण ग्वाला बने थे और उन्होंने गाय चराना शुरू किया था. यह त्यौहार कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस दिन गौ माता के पूजन का विधान है. गौ माता से भगवान श्री कृष्ण का ख़ास लगाव और जुड़ाव है. श्री कृष्ण के कारण ही आज गाय को माता की संज्ञा दी जाती है. ऐसे भी मान्यता है कि जिस स्थान पर गौ माताएं होती है या वे भ्रमण करती है वहां सांप-बिच्छू जैसे जहरीले जीव देखने को नहीं मिलते हैं. सच्चे दिल से गौ माता की भक्ति, सेवा और पूजा करने वाला व्यक्ति आने वाली समस्याओं से छुटकारा पा लेता है. साथ ही उस पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा भी बनी रहती है. एक प्रचलित धार्मिक मान्यता इस प्रकार से भी है कि गौ माता में 33 कोटि देवी-देवता निवास करते हैं. अतः गौ माता का पूजन करने से 33 कोटो देवी-देवताओं की पूजा का फल भी हमें मिलता है. जब भी कभी गौ माता के बात होती है, तो श्री कृष्ण का नाम भी जुबान पर आ ही जाता है. जन्माष्टमी पर इस आरती से करें भगवान कृष्ण को खुश जन्माष्टमी पर 'कोरोना ग्रहण', गोरखनाथ मंदिर में टूट रही वर्षों पुरानी परंपरा क्यों मोर के पंख को अपने मस्तक पर सजाते हैं श्री कृष्ण, जानिए इसका रहस्य ?