गणतन्त्र दिवस के अवसर पर जहां देशभर में उत्सव मनाया जा रहा है वहीं आज का दिन उत्तराखंड के सात कैदियों के जीवन में भी खुशियाँ लेकर आया है. राज्य सरकार ने आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे सात बन्दियों को आज रिहा कर दिया है. रिहा किए गए कैदियों में ज़िला कारागार हरिद्वार से सीमा (82 वर्ष), गुलज़ार (72 वर्ष), लीला पाठक (50 वर्ष) , हरीश (73 वर्ष), लछम सिंह (75 वर्ष) और केन्द्रीय कारागार सितारगंज, ऊधम सिंह नगर से रोशन लाल (67 वर्ष), शेखर चन्द्र (57 वर्ष) हैं. प्रमुख सचिव, गृह एवं कारागार, आनन्द वर्द्धन ने बताया कि कैदियों की रिहाई के संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं. इनके साथ ही राज्य की अलग-अलग जेलों में कैद 58 सिद्धदोष बन्दियों को 15 दिन, एक माह या दो दिन के पेरोल दिए जाने के भी आदेश जारी कर दिए गए हैं. इसके अलावा एक और अनूठी शुरुआत हुई है. गुरुवार को सचिव, कौशल विकास एवं सेवायोजन डॉक्टर पंकज कुमार पाण्डेय ने ज़िला कारागार देहरादून में कैद 58 बंदियों को जैविक कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षण देने की योजना की शुरुआत की. यह योजना उत्तराखण्ड कौशल विकास समिति द्वारा एग्रीकल्चर सेक्टर स्किल्स कांउसिल में पंजीकृत सार्ग विकास समिति के माध्यम से अमल में लाई जाएगी. डॉक्टर पंकज ने बताया कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य है कि कारागार के बंदियों की रिहाई के बाद उन्हें स्वरोजगार के अवसर मिल सके. ताकि उनका भविष्य अपराध के अंधकारों में ना भटके. तिरंगा यात्रा के दौरान दो समुदायों में हिंसा, अघोषित कर्फ्यू गणतंत्र दिवस पर पुरस्कार और मैडल के बदले पौधों से सम्मान हवाई सेवा के 90 प्रस्तावों को मिली मंजूरी