पंजाब में गिरा था मातारानी का बाया वक्ष, होते हैं सिर्फ मुख के दर्शन

शारदीय नवरात्र शुरु हो गए है। ऐसे में इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों का पूजन किया जाता है। जी दरअसल जहां-जहां मां पार्वती के अंग गिरे वह स्थान शक्तिपीठ कहलाया। जी दरअसल दुनियाभर में 52 शक्तिपीठ है, जिनमें से कुछ तो ठीक हालत में है और कुछ जर्जर हालत में हो गए है। इन्हीं में एक शक्तिपीठ है पंजाब राज्य में। जी दरअसल पंजाब के जालंधर में उत्तर की तरफ रेलवे स्टेशन से सिर्फ 1 किमी की दूरी पर मां भगवती का शक्तिपीठ त्रिपुर मालिनी मां है। इसी के साथ यह मंदिर देवी तालाब मंदिर नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के बारें में ऐसी मान्यता है कि मां सती का इस जगह बाया वक्ष(स्तन) गिरा था। उसके बाद से मां यहां पर शक्ति 'त्रिपुरमालिनी' तथा भैरव 'भीषण' के रुप में विराजमान है।

जी दरअसल वशिष्ठ, व्यास, मनु, जमदग्नि, परशुराम जैसे विभिन्न महर्षियों ने त्रिपुरा मालिनी रूप में यहां आकर पूजा-आराधना की थीं। इसी के साथ ही भगवान शिव ने जांलधर नाम के राक्षस का वध किया। जिसके बाद से ही इस जगह का नाम जांलधर पड़ गया। कहा जाता है मां के दर्शन के लिए हजारो भक्त दूर-दूर से यहां आते है। इस मंदिर का शिखर सोने से बनाया गया है और समय-समय पर मंदिर परिसर में मां के जगरातें और नवरात्रों में बड़ी धूम-धाम से मेला लगता है। कहा जाता है इस मंदिर को बहुत सारी मन मोहक झांकिया से सजाया जाता है।

इसी के साथ इस मंदिर के बारें में कहा जाता है कि यह मंदिर 200 साल पुराना है। इसे 'स्तनपीठ' भी कहा जाता है जिसमे देवी का वाम स्तन कपडे से ढका रह्ता है और धातु से बना मुख के दर्शन भक्तों को कराए जाते है। इसके अलावा आपको बता दें कि यह मंदिर तालाब के मध्य स्थित है जहां जाने के लिए 12 फ़ीट चौड़ी जगह है। मुख्य भगवती के मंदिर में तीन मूर्ति है।

जी हाँ और इन तीनों में मूर्ति में मां भगवती के साथ मां लक्ष्मी और मां सरस्वती विराजमान है। भक्त इस मंदिर में इन देवियों की मूर्ति की परिक्रमा करते है यह पूरा परिसर लगभग 400 मीटर में फैला हुआ है। इस मंदिर में हज़ारों की संख्या में भक्त आते है और अपनी मनोकामना मांगते हैं।

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