उत्‍पन्ना एकादशी का हिन्‍दू धर्म में खास महत्‍व है। उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है। पौराणिक मान्‍यताओं के मुताबिक इसी दिन एकादशी माता का जन्‍म हुआ था, इसलिए इसे उत्‍पन्ना एकादशी कहा जाता है। देवी एकादशी को सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की ही एक शक्ति माना जाता है। बताया जाता हैं कि इस दिन मां एकादशी ने उत्‍पन्न होकर अत्‍याचारी और अतिबलशाली राक्षस मुर का वध किया था। मान्‍यता के मुताबिक इस दिन स्‍वयं भगवान विष्‍णु ने माता एकादशी को आशीर्वाद देते हुए इस व्रत को पूज्‍यनीय बताया था। माना जाता है कि इस एकादशी के व्रत का प्रभाव ऐसा है कि सभी पापों का नाश हो जाता है। इसका व्रत मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस बार उत्पन्ना एकादशी 22 नवम्बर यानी आज है। इस शुभ दिन विधि-विधान से पूजा करने पर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही आपको इस दिन कुछ कामों से भी बचना चाहिए। इस दिन गलती से भी न करें ये काम 1. अर्घ्य केवल हल्दी मिले हुए जल से ही दें। रोली या दूध का प्रयोग न करें। 2. तामसिक आहार व्यवहार तथा विचार से दूर रहें। 3. यदि स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो उपवास न रखें। सिर्फ प्रक्रियाओं का पालन करें। 4. बिना भगवान विष्णु को अर्घ्य दिए हुए दिन की शुरुआत न करें। यह व्रत दो तरह से रखा जाता है -निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत। - सामान्यतः निर्जल व्रत पूरी तरह से सेहतमंद व्यक्ति को ही रखना चाहिए। - अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए। - इस व्रत में दशमी को रात्रि में भोजन नहीं करना चाहिए। - एकादशी को प्रातः काल श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। - इस व्रत में सिर्फ फलों का ही भोग लगाया जाता है। - इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन करना उचित माना जाता है। 24 नवंबर का राशिफल: आज के दिन यह 2 राशियों को मिल सकता है मुनाफे का प्रस्ताव अंकज्योतिष : 24 नवंबर का भाग्यशाली अंक और शुभ रंग ग्रहों की मार से बचने के लिए यह है रामबाण उपाय, इस से रत्न हो सकता है आपके लिए शुभ