कोरोना वायरस इन दिनों तेजी से फैलता चला जा रहा है. वहीँ इस वायरस के इलाज में फायदेमंद रेमडेसिवीर दवा की कालाबाजारी भी तेजी से बढ़ती चली जा रही है. आपको बता दें कि तमिलनाडु में 3,000 से 5,000 रुपये की कीमत की रेमडेसिवीर की एक शीशी को काला बाजार में लगभग 13,000 रुपये में बेचने का काम हो रहा है. यहाँ सरकारी अस्पतालों में दवा पर्याप्त मात्रा में है, लेकिन खबरें हैं कि निजी अस्पतालों में दवा की कमी है. ऐसा होने पर तो कई जगह डॉक्टर खुद मरीजों के परिजनों को एजेंट का नंबर दे रहे हैं. आपको हम यह भी बता दें कि अमेरिकी कंपनी 'गिलियाड' की दवा रेमडेसिवीर कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में फायदेमंद साबित हो रही है. इसी के साथ तीन भारतीय कंपनियों ने गिलियाड के साथ रेमडेसिवीर का जेनेरिक वर्जन भारत में बनाने और बेचने का समझौता किया है. जी दरअसल मिली जानकारी के मुताबिक सिप्ला ने अपनी दवा का नाम सिप्रेमी रखा है. अब बात करें इसकी कीमत के बारे में तो वह 4,000 रुपये है. जी दरअसल हेटेरो कोविफॉर नाम से ये दवा बना रही है और इसकी कीमत 5,400 रुपये बताई जा रही है. आपको हम यह भी बता दें कि मायलान की दवा अभी बाजार में नहीं आ पाई है. अब बात करें तमिलनाडु सरकार के बारे में तो यहाँ 3,100 रुपये में रेमडेसिवीर की एक शीशी खरीद रही है और इस पर 12 प्रतिशत GST अलग से लगता है. यहाँ इस शीशी की MRP 5,000 रुपये है और इस पर भी GST अलग से लगाया जा रहा है. हाल ही में हुई पड़ताल में पता चला है कि निजी अस्पताल का कर्मचारी होने का दावा करने वाला कोयंबटूर का एक एजेंट 13,000 रुपये में शीशी बेच रहा है. वहीँ जब उनसे पूछा गया कि कमी के बावजूद वे दवा कहां से हासिल करते हैं तो उन्होंने कहा कि वे इसे सीधे निर्माता से खरीदते हैं. इस तरह कालाबाजारी का काम तेजी से फैलता हुआ दिखाई दे रहा है. तमिलनाडु सरकार ने बदले तीन मेट्रो स्टेशन के नाम, जानिए क्या रखा? इस कुँए के पानी को पीने से नहीं होगा कोरोना! केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बोले- कोरोना के साथ जीने का तरीका सीखना होगा