आवाज के जादूगर लिजेंडरी सिंगर मोहम्मद रफी के गाने सुनकर आज भी लोग भावुक हो जाते हैं और मन को इसे काफी शांति भी मिलती है. रफ़ी ने हिंदी सिनेमा को कई यादगार गाने दिए हैं. रफी आज ही के दिन इस दुनिया को अलविदा कह गए थे. फकीर की नकल कर सीखा गाना... जहां चाह है वहीं पर तो राह है...रफी पर ये लाइनें बिलकुल सटीक बैठती हैं. किसी प्रोफेशनल गुरु को चुनने की बजाय रफी ने गांव के फकीर की नकल कर गाना सीखा था और महज 13 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी पहली परफॉर्मेंस दे दी थीं और फिर इसके बाद उन्होंने उस्ताद अब्दुल वहीद खां, पंडित जीवन लाल मट्टू और फिरोज निजामी से शास्त्रीय संगीत का ज्ञान लिया था. राफे ने असमी, कोंकणी, पंजाबी, उड़िया, मराठी, बंगाली, भोजपुरी के साथ-साथ उन्होंने पारसी, डच, स्पेनिश और इंग्लिश भाषा में भी गाने गाए थे. 'बाबुल की दुआएं लेती जा' के लिए जीता नेशनल अवॉर्ड... मोहम्मद ने किशोर कुमार की फिल्मों के लिए भी गीत गाये हैं जिनमें फिल्म 'बड़े सरकार', 'रागिनी' और कई फिल्‍में शामिल है. रफी द्वारा किशोर कुमार के लिए करीब 11 गाने गाए गए हैं. फिल्म 'नील कमल' का गाना 'बाबुल की दुआएं लेती जा' को गाते वक्‍त बार-बार रफी की आंखों में आंसू आ जाते थे और ख़ास बात यह है कि रफ़ी को इस गीत के लिए 'नेशनल अवॉर्ड' मिला था. वहीं उन्हें अपने काम के लिए 6 फिल्मफेयर, 1 नेशनल अवार्ड और भारत सरकार द्वारा 'पद्म श्री' सम्मान से भी सम्मानित किया गया था. बॉलीवुड की इस मशहूर एक्ट्रेस संग जीनत अमान के पिता ने किया था हलाला, जानिए सच... रणवीर सिंह इस शख्स से करते हैं सबसे ज्यादा प्यार, शेयर की तस्वीर परिणीति का चौंकाने वाला खुलासा, कहा- मेरे साथ ऐसा काम सिर्फ एक बार...' वरुण की एक्ट्रेस ने बिकिनी में दिए हॉट पोज, देखें वायरल होते तस्वीरें