सनातन धर्म में घर का मंदिर या पूजा स्थान विशेष महत्व रखता है। यह न केवल भक्ति का स्थान होता है, बल्कि परिवार के सदस्यों के लिए शांति और समृद्धि का केंद्र भी है। लेकिन इस मंदिर में मूर्तियों की स्थापना करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, कुछ मूर्तियों को घर के मंदिर में स्थापित करना उचित नहीं माना जाता है, क्योंकि यह नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। 1. काल भैरव (भगवान भैरवनाथ) की मूर्ति धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान भैरवनाथ, जिन्हें काल भैरव के नाम से भी जाना जाता है, की मूर्ति घर के पूजा स्थान में नहीं रखनी चाहिए। भैरव जी का रौद्र अवतार माना जाता है, और उनका पूजन हमेशा घर के बाहर करना चाहिए। ज्योतिष और वास्तु जानकारों का मानना है कि यदि काल भैरव की प्रतिमा पूजा घर में स्थापित की जाती है, तो इससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। 2. शनिदेव की मूर्ति ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव की प्रतिमा को भी पूजा घर में स्थापित नहीं करना चाहिए। शनि महाराज को न्याय और कर्म फल का देवता माना जाता है। उनका क्रोध अत्यंत भयंकर हो सकता है, और इससे व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। इसलिए, शनिदेव की पूजा का स्थान हमेशा घर के बाहर होना चाहिए। 3. राहु और केतु की मूर्तियाँ राहु और केतु को छाया ग्रह के रूप में जाना जाता है। इनकी मूर्तियों को घर के पूजा घर में स्थापित करना भी अनुचित माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ये ग्रह व्यक्ति को हानि पहुंचा सकते हैं। इसलिए, राहु और केतु की मूर्तियों को भूलकर भी पूजा स्थान में नहीं रखना चाहिए। रमा एकादशी पर करें इन चीजों का दान, घर में बनी रहेगी सुख समृद्धि सबसे पहले किसने किया था छठ का महाव्रत?, यहाँ जानिए रोटी बनाने से पहले तवे पर करें ये एक काम, मिलेगा भारी फायदा